पूजा पाल के बाद अब मिले दोनों डिप्टी सीएम, 45 मिनट की बैठक से सियासत में हलचल,
जानें पूरी बात
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों लगातार घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं। पहले बीजेपी के 40 क्षत्रिय विधायकों और कुछ सपा बागियों की सक्रियता, फिर सपा से निष्कासित विधायक पूजा पाल की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात और अब प्रदेश के दोनों डिप्टी सीएम्स की बैठक ने सियासी माहौल को और गर्मा दिया है। सोमवार को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के बीच हुई पौने घंटे की मुलाकात ने नए राजनीतिक संकेत दिए हैं। इस बैठक की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं और नेताओं की भाव-भंगिमा को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
पूजा पाल की मुलाकात और सपा से निष्कासन
पिछले हफ्ते सपा ने कौशांबी की चायल सीट से विधायक पूजा पाल को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में बाहर कर दिया था। उन्होंने विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति और अतीक अहमद के खिलाफ कार्रवाई की सराहना की थी। इसके बाद 17 अगस्त को उनकी सीएम योगी से मुलाकात ने बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को हवा दी। यह कदम सपा के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूले को कमजोर करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
डिप्टी सीएम्स की 45 मिनट की बैठक
इन घटनाओं के बीच सोमवार को दोनों डिप्टी सीएम, केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक की करीब 45 मिनट लंबी बैठक हुई। सूत्र बताते हैं कि इसमें कई अहम राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में उनकी गंभीरता को बीजेपी के अंदरूनी समीकरणों और 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी से जोड़ा जा रहा है। कुछ लोगों ने इसे ‘संगठन बनाम सरकार’ की खींचतान बताया, तो कुछ ने इसे पूजा पाल प्रकरण और ओबीसी समीकरण से जोड़ा।
ओबीसी और क्षत्रिय वोट बैंक पर नजर
विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी अब गैर-यादव ओबीसी और क्षत्रिय वोट बैंक पर खास फोकस कर रही है। पूजा पाल, जो पाल और बघेल समाज से आती हैं, उनके निष्कासन ने सपा के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी उन्हें पार्टी में लाकर पाल समाज की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश कर सकती है। इसी रणनीति के तहत मौर्य (ओबीसी) और पाठक (ब्राह्मण) की जोड़ी को अहम भूमिका दी जा रही है।
सपा का रुख और विपक्ष की प्रतिक्रिया
सपा ने पूजा पाल को बाहर करने को अनुशासन का मामला बताया है, लेकिन पार्टी के भीतर असंतोष की खबरें सामने आई हैं। विपक्ष इस घटना को बीजेपी के खिलाफ भुनाने में जुटा है। सपा समर्थकों ने सोशल मीडिया पर बीजेपी पर अपने नेताओं को तोड़ने का आरोप लगाया, जबकि कुछ पोस्ट्स में इसे महिला विरोधी कदम भी बताया गया।
बीजेपी की आगे की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी इस पूरे घटनाक्रम को दोहरे लाभ के तौर पर देख रही है। एक ओर पाल और बघेल समाज को साधना और दूसरी ओर योगी सरकार की माफिया विरोधी और महिला सशक्तिकरण वाली छवि को मजबूत करना। डिप्टी सीएम्स की मुलाकात को इसी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसमें संगठन और सरकार दोनों स्तर पर वोटरों को साधने की योजना शामिल है।