जातीय जनगणना पर सपा-बसपा के मिले सुर,
अखिलेश और मायावती दोनों ने केंद्र की मंशा पर उठाए सवाल
1 months ago
Written By: NEWS DESK
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर जातीय जनगणना को लेकर हलचल तेज हो गई है। 16 जून को केंद्र सरकार द्वारा जनगणना 2027 (Caste Census) की अधिसूचना जारी होने के बाद, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) दोनों ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। हालांकि दोनों पार्टियों की शैली अलग रही, लेकिन दोनों ने एक समान जनगणना का काम पारदर्शी और ईमानदारी से कराए जाने की मांग रखी है।
अखिलेश यादव ने जताया भाजपा पर अविश्वास
यहां अधिसूचना के जरी होते ही सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि, उन्हें भाजपा और सरकार के आंकड़ों पर भरोसा नहीं है। प्रयागराज कुंभ में भगदड़ से जुड़ी घटनाओं का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “जो लोग कुंभ जैसे पवित्र आयोजन में भी झूठ बोल सकते हैं, उन पर जातीय जनगणना जैसे संवेदनशील मसले में कैसे विश्वास किया जा सकता है।” जिसके बाद उन्होंने सपा कार्यकर्ताओं को सतर्क रहने की हिदायत दी और कहा कि सरकार किसी भी समय कोई भी आंकड़ा पेश कर सकती है, इसलिए पार्टी कार्यकर्ताओं को हर स्तर पर सजग रहना होगा।
मायावती ने भी उठाए सवाल, ईमानदारी से जनगणना की मांग
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने पाने पोस्ट में लिखा है कि, भाजपा ने अपने 11 साल के कार्यकाल में जिन उपलब्धियों का बखान किया है, वे वास्तव में जनता की गरीबी, बेरोजगारी और दुख-दर्द को दूर करने में कितनी कारगर रहीं, इसका जवाब समय आने पर जनता खुद देगी। उन्होंने आगे कहा है कि, जातीय जनगणना का कार्य कांग्रेस के समय से लटका पड़ा था, लेकिन अब जब प्रक्रिया शुरू हुई है तो इसे देशहित में समय पर और ईमानदारी से पूरा किया जाना चाहिए।
संगठनात्मक समीक्षा भी ज़रूरी: मायावती
इस दौरान मायावती ने यह भी लिखा है, कि बसपा के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने और कार्यकर्ताओं को सजग करने के लिए प्रदेशभर में बैठकें हो रही हैं। पूर्वांचल में हाल ही में हुई एक बैठक का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें पार्टी की जनाधार बढ़ाने की रणनीति पर चर्चा हुई और कार्यकर्ताओं को सख्ती से दिशा-निर्देश दिए गए। साथ ही बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर भी विचार-विमर्श चल रहा है।