सावन शुरू होने से पहले कांवड़ यात्रा पर सियासी और सांप्रदायिक गर्मी,
स्वामी यशवीर के बयान से नया सियासी बवाल
18 days ago
Written By: NEWS DESK
एक ओर सावन का महीना शुरू होने को है, दूसरी ओर कांवड़ यात्रा को लेकर राजनीति और सांप्रदायिक बयानबाज़ी भी तेज़ हो गई है। योग साधना आश्रम के महंत स्वामी यशवीर ने मुसलमानों को लेकर विवादास्पद बयान देकर नया बवाल खड़ा कर दिया है। इस बार उन्होंने सीधे-सीधे कांवड़ बनाने वाले मुस्लिमों को निशाने पर लेते हुए कहा कि, दारूल उलूम देवबंद को इनके खिलाफ फतवा जारी करना चाहिए।
फिर छेड़ा अभियान
दरअसल, गाजियाबाद में कांवड़ रूट पर घूमते हुए स्वामी यशवीर ने ढाबों और ठेलों पर भगवा झंडे और भगवान वराह की तस्वीरें बांटीं। उन्होंने दावा किया कि "जिस दुकान पर भगवान वराह की तस्वीर और भगवा झंडा लगा होगा, वह 100% हिंदू की दुकान होगी क्योंकि मुसलमान वराह को हराम मानते हैं।" इसके जरिए उन्होंने ‘नाम बदलकर दुकान चलाने वालों’ की पहचान करने का अभियान छेड़ा है।
भड़काऊ बयान पर घिरते यशवीर महाराज
स्वामी यशवीर ने मुजफ्फरनगर के पुरकाजी में हाल में हुई कथित 'कांवड़ पर थूकने' की घटना का हवाला देते हुए पूरे मुस्लिम समुदाय को कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि इस्लाम में मूर्तिपूजा और पूजा सामग्री बनाना हराम है, इसलिए जो मुसलमान कांवड़ बना रहे हैं, उनके खिलाफ फतवा जारी होना चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि अगर ये मुसलमान चाहें तो ‘वापस हिंदू धर्म में लौट सकते हैं’ और तब वे बिना किसी धार्मिक अड़चन के कांवड़ बना सकते हैं।
पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
आपको बताते चलें कि, दो दिन पहले भी स्वामी यशवीर ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा था कि हरिद्वार की कांवड़ न खरीदी जाए, क्योंकि वहां 90 फीसदी कांवड़ मुस्लिम समुदाय के लोग बना रहे हैं। अब इस बयान को और आक्रामक बनाते हुए उन्होंने सीधे दारूल उलूम देवबंद से दखल देने की मांग कर दी है।
सियासी विरोध और स्थानीय समर्थन
हालांकि, विपक्षी दलों ने स्वामी यशवीर की इस नीति और बयानबाज़ी की कड़ी आलोचना की है, लेकिन जिन ढाबों और दुकानों पर वे तस्वीरें और झंडे बांट रहे हैं, वहां के कई दुकानदार इस मुहिम को समर्थन दे रहे हैं। इससे कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही साम्प्रदायिक तनाव का खतरा मंडराने लगा है।
11 जुलाई से सावन की शुरुआत है, और उसी दिन से कांवड़ यात्रा भी शुरू होगी। लेकिन उससे पहले ही धार्मिक और सांप्रदायिक माहौल को जिस तरह गर्म किया जा रहा है, वह कानून-व्यवस्था और सामाजिक समरसता के लिए चुनौती बन सकता है।