मराठी सीखने का शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का संकल्प,
बोले – “मराठी में जवाब देकर जाना चाहता हूँ”
12 days ago
Written By: NEWS DESK
महाराष्ट्र में इन दिनों हिंदी और मराठी भाषा को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है, इस बीच ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का बड़ा और भावनात्मक बयान सामने आया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि, वह मराठी भाषा सीखना चाहते हैं और जब अगली बार मुंबई से अपने धाम लौटें, तो मराठी में संवाद कर सकें यही उनकी इच्छा है।
"मराठी में जवाब देकर जाना चाहता हूँ" – शंकराचार्य
मुंबई प्रवास के दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "हम तो यही कामना कर रहे हैं कि, जब यहां से जाने का समय आए तो मीडिया के लोगों के मराठी में पूछे गए प्रश्नों का जवाब भी मराठी भाषा में देकर जाएं, ताकि हमें भी आत्मविश्वास हो कि हमें मराठी आती है।" यह बयान ऐसे समय में आया है जब महाराष्ट्र में मराठी भाषा की अहमियत और उसके प्रचार-प्रसार को लेकर राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ी हुई है।
ग्रामीणों से जुड़ाव की भावना झलकाई
जब उनसे पूछा गया कि, क्या मराठी सीखने के बाद वह लोगों को मराठी में ही संबोधित करेंगे, तो उन्होंने कहा कि, वह अक्सर महाराष्ट्र और मुंबई आते हैं, जहाँ अधिकांश लोग हिंदी समझते हैं। लेकिन जब वह ग्रामीण इलाकों में जाते हैं, तो उन्हें कठिनाई होती है क्योंकि वहाँ के बहुत से लोग केवल मराठी बोलते और समझते हैं। “ऐसे लोग जब हमसे संवाद करने की कोशिश करते हैं, तो उस समय हमें मराठी नहीं जानने का अफसोस होता है। अगर हमें मराठी आती, तो हम उन्हें उनकी अपनी भाषा में समझा सकते थे।” स्वामी जी ने यह भी कहा कि, अब उन्होंने तय किया है कि, वह मराठी भाषा सीखेंगे, जिससे भविष्य में वह ग्रामीण मराठीभाषी जनता से सहज संवाद कर सकें।
राजनीति भी गरमाई, पार्टियों की अलग-अलग प्रतिक्रिया
इस बीच, इस मुद्दे पर राजनीतिक गतिविधियाँ भी तेज़ हो गई हैं। बीजेपी ने मुंबई में मराठी की निशुल्क कक्षाओं की शुरुआत की है ताकि गैर-मराठी लोग इस भाषा को आसानी से सीख सकें। वहीं कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने भाषाई विवाद पर चिंता जताई है और सामाजिक समरसता बनाए रखने की अपील की है।