संविधान की प्रस्तावना पर संघ नेता के बयान से मचा सियासी बवाल,
मायावती बोलीं – ‘छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं’
1 months ago
Written By: NEWS DESK
लखनऊ: संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की RSS नेता दत्तात्रेय होसबोले की वकालत के बाद देश की सियासत गरमा गई है। अब इस बयान पर बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि संविधान की मूल भावना से छेड़छाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
“संविधान में गैर-ज़रूरी बदलाव किए गए हैं”
लखनऊ में मीडिया से बात करते हुए मायावती ने कहा कि समय-समय पर संविधान में कई गैर-जरूरी परिवर्तन किए गए, जो कि संविधान की मूल आत्मा के खिलाफ हैं। उन्होंने दो टूक कहा, “संविधान की प्रस्तावना में जो मूल भावना बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने रखी थी, उसमें छेड़छाड़ करना लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के खिलाफ है।”
बीजेपी और कांग्रेस पर बोला हमला
मायावती ने इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस – दोनों पर एक साथ निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “इन दोनों दलों का चरित्र दोहरा है। दिल में कुछ और होता है और जुबान पर कुछ और। ये जब चाहें संविधान से खेल जाते हैं।” उन्होंने साफ किया कि अगर संविधान विरोधी चेहरों को नहीं बदला गया, तो बहुजन समाज पार्टी को देशभर में आवाज उठानी पड़ेगी।
भाषा और वोटर लिस्ट के मुद्दे पर भी टिप्पणी
राज्यों में भाषा के नाम पर हो रही राजनीति पर भी मायावती ने नाखुशी जताई। उन्होंने कहा कि “हर भाषा का सम्मान होना चाहिए और इस पर राजनीति करना उचित नहीं।” साथ ही बिहार में वोटर लिस्ट से जुड़े विवाद पर उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और राजनीतिक दलों को विश्वास में लेना चाहिए।
“महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं”
मायावती ने पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था पर भी चिंता जताते हुए कहा कि “राज्य में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, और सरकार को जवाबदेह बनाना होगा।”
क्या कहा था दत्तात्रेय होसबोले ने?
बता दें कि 27 जून 2025 को दिल्ली में एक कार्यक्रम में RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा था कि ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द 1975 के आपातकाल के दौरान संविधान में जोड़े गए थे, और ये कृत्रिम रूप से जोड़े गए हैं। उन्होंने इन्हें हटाने की आवश्यकता जताई थी।