महागठबंधन की हार के बाद लालू परिवार में फूट?
रोहिणी आचार्य का राजनीति और परिवार छोड़ने का ऐलान
1 months ago
Written By: Aniket Prajapati
बिहार चुनाव में महागठबंधन की करारी हार के बाद अब लालू परिवार के भीतर तनाव खुलकर सामने आ गया है। शनिवार को लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति और परिवार दोनों छोड़ने की घोषणा कर दी। यह फैसला उस समय आया जब रोहिणी और तेजस्वी यादव के बीच चुनावी हार को लेकर तेज बहस हुई। इससे पहले तेज प्रताप के बयान भी सुर्खियों में थे, जिससे साफ दिख रहा है कि हार के बाद परिवार में मनमुटाव बढ़ गया है।
तेजस्वी और रोहिणी के बीच तीखी बहस, गालियां और चप्पल फेंकने तक की नौबत
सूत्रों के अनुसार, शनिवार दोपहर तेजस्वी और रोहिणी के बीच बैठक के दौरान बात इतनी बढ़ गई कि माहौल तनावपूर्ण हो गया। रोहिणी ने हार की जिम्मेदारी तय करने और समीक्षा की बात कही। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि संजय यादव को लेकर कार्यकर्ताओं की नाराजगी का जवाब देना चाहिए। इसी बात पर तेजस्वी भड़क गए। सूत्र बताते हैं कि गुस्से में तेजस्वी ने कहा— "तुम्हारे ही कारण चुनाव हार गए, तुम्हारा हाय लग गया।" बात यहीं नहीं रुकी। बताया जा रहा है कि तेजस्वी ने अपनी बड़ी बहन रोहिणी पर चप्पल भी फेंकी और गालियां दीं। इसके बाद रोहिणी ने परिवार और राजनीति से अलग होने की घोषणा कर दी।
चुनावी प्रचार में भी रोहिणी को किया गया सीमित
सूत्र बताते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान रोहिणी अपने क्षेत्र सारण की सभी विधानसभा सीटों में जाना चाहती थीं, लेकिन उन्हें केवल राघोपुर तक सीमित कर दिया गया। इससे पहले नाराजगी के चलते रोहिणी सिंगापुर चली गई थीं, लेकिन तेजस्वी के बुलाने पर वापस लौटीं। उन्होंने मीडिया में किसी विवाद से इनकार किया था, लेकिन अंदर ही अंदर असंतोष बढ़ता रहा।
पुराना विवाद और टिकट को लेकर टकराव
जुलाई 2023 में लोकसभा चुनाव से पहले तेजस्वी ने रोहिणी को सारण से लड़ने को कहा था। रोहिणी ने पिता लालू यादव की सहमति का इंतजार किया। बाद में उन्होंने पाटलिपुत्र सीट से लड़ने की इच्छा जताई, लेकिन मीसा भारती तैयार नहीं हुईं। अंत में रोहिणी सारण से चुनाव लड़ने को राज़ी हुईं।
संजय यादव की भूमिका और रोहिणी का अपमान
करीबी सूत्रों का दावा है कि समय के साथ तेजस्वी के सलाहकार माने जाने वाले संजय यादव ने रोहिणी को तेजस्वी के भविष्य के लिए खतरा बताना शुरू किया। उन्हें राजनीति छोड़ने की सलाह दी गई और कई बार अपमानित भी किया गया। यहां तक कि सारण से उनका चुनाव हरवाने की भी कोशिश की गई। परिवार के एक करीबी एमएलसी, जो खुद सारण से लड़ना चाहते थे, इसमें शामिल रहे। चुनाव हारने के बाद भी जिन दो विधायकों ने रोहिणी का साथ नहीं दिया, उन्हें विधानसभा टिकट दे दिया गया। इससे रोहिणी और अधिक नाराज हो गईं।