मुजफ्फरनगर में ढाबा कर्मचारी की चेकिंग पर सियासत गरमाई,
सपा नेता ने पहलगाम आतंकियों से की तुलना
24 days ago
Written By: NEWS DESK
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा से पहले एक ढाबा कर्मचारी के कपड़े उतरवाकर चेकिंग करने की कोशिश ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद न केवल सियासी हलचल तेज हो गई है, बल्कि समाजवादी पार्टी और मुस्लिम संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल कांवड़ यात्रा मार्ग पर मुजफ्फरनगर के बघरा आश्रम के संचालक यशवीर महाराज और हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता एक ढाबे पर पहुंचे। वहां काम कर रहे एक कर्मचारी से उसका नाम पूछा गया, और फिर चेकिंग के नाम पर उसके कपड़े उतरवाने की कोशिश की गई। इस घटना का वीडियो वायरल होते ही मामले ने तूल पकड़ लिया। सोशल मीडिया पर इसे लेकर जबरदस्त बहस शुरू हो गई है।
पुलिस कार्रवाई और जांच
वहीं, वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया। अब तक आधा दर्जन कार्यकर्ताओं को नोटिस जारी किए गए हैं। पुलिस जब आरोपियों के घर पहुंची तो वे फरार पाए गए। फिलहाल पुलिस जांच कर रही है और आरोपियों से पक्ष रखने को कहा गया है।
सपा नेता एसटी हसन का तीखा बयान
वहीं इस पूरे ममले पर समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद एसटी हसन ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि, "इन्हें ये अधिकार किसने दिया है कि ढाबों पर काम करने वालों की चेकिंग करें ? जो लोग धर्म पूछकर कपड़े उतरवाते हैं, उनका और पुलवामा जैसे आतंकी हमले करने वालों का फर्क क्या है? ये भी आतंकी हैं। आज धर्म की राजनीति चरम पर है।" वहीं, एसटी हसन के बयान के बाद भाजपा और दक्षिणपंथी संगठनों में भी प्रतिक्रिया देखी जा रही है।
नेम प्लेट चेकिंग को लेकर विवाद
वहीं, कांवड़ यात्रा मार्ग पर इन दिनों खाने-पीने की दुकानों की नेम प्लेट चेकिंग का भी मुद्दा गर्माया हुआ है। कई दुकानों पर यह देखा जा रहा है कि क्या मालिक या कर्मचारी किसी विशेष धर्म से हैं। इसी बहाने कुछ लोग दुकान, ढाबों पर पहुंचकर व्यक्तिगत पूछताछ और चेकिंग कर रहे हैं, जिससे सांप्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा हो रही है।
विरोध में मुस्लिम संगठन भी सामने आए
वहीं, घटना के खिलाफ समाजवादी पार्टी के अलावा कई मुस्लिम संगठनों ने भी तीखी आपत्ति दर्ज की है। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाएं सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा देती हैं और संविधान की भावना के खिलाफ हैं।