मायावती ने चुनाव सुधारों पर उठाई तीन बड़ी मांगें,
SIR की समय सीमा बढ़ाने और बैलेट पेपर की वापसी की वकालत
4 days ago Written By: Aniket Prajapati
देश में चुनाव सुधारों को लेकर संसद में चल रही बहस के बीच बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा हो रही है, लेकिन BSP की नजर में तीन सुधार बेहद जरूरी हैं। इनमें SIR प्रक्रिया की समय सीमा बढ़ाना, आपराधिक इतिहास वाले उम्मीदवारों से जुड़ी जिम्मेदारी तय करना और बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग शामिल है। मायावती ने मंगलवार को एक्स पर एक लंबा पोस्ट कर इन मुद्दों पर विस्तार से अपनी बात रखी।
SIR की समय सीमा बढ़ाने की मांग
मायावती ने कहा कि पार्टी SIR प्रक्रिया का विरोध नहीं करती, लेकिन तय की गई समयसीमा बहुत कम है। इससे BLO पर भारी दबाव बन गया है, और कई BLO काम के बोझ की वजह से अपनी जान भी गंवा चुके हैं। उन्होंने बताया कि खासकर उन राज्यों में, जहां निकट भविष्य में कोई चुनाव नहीं है, BLO को पर्याप्त समय मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही 15.40 करोड़ से अधिक वोटर हैं। ऐसे में जल्दबाजी में SIR पूरी करने की कोशिश से लाखों वैध वोटरों के नाम सूची से हट सकते हैं, खासकर गरीब और रोजगार के लिए बाहर गए लोग। इससे वे संविधान द्वारा दिए गए मतदान अधिकार से वंचित हो जाएंगे, जो गलत है।
उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास की जवाबदेही तय हो
मायावती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने नियम जारी किए हैं, जिनमें उम्मीदवारों को अपने आपराधिक इतिहास का पूरा विवरण हलफनामे और अखबारों में प्रकाशित करना जरूरी किया गया है। उन्होंने कहा कि कई बार उम्मीदवार अपना आपराधिक रिकॉर्ड पार्टी को नहीं बताते, और स्क्रूटनी के दौरान पता चलता है। ऐसे में इसकी जिम्मेदारी गलत तरीके से पार्टी पर आने लगती है। BSP का सुझाव है कि आपराधिक पृष्ठभूमि से संबंधित सभी औपचारिकताएं उम्मीदवार स्वयं पूरी करें और अगर रिकॉर्ड छुपाया जाता है तो उसकी पूरी कानूनी जिम्मेदारी भी उम्मीदवार पर ही आए।
EVM की जगह बैलेट पेपर या फिर सभी VVPAT पर्चियों की गिनती हो
मायावती ने कहा कि EVM को लेकर लगातार गड़बड़ियों की शिकायतें मिलती रहती हैं। चुनाव प्रक्रिया में जनता का भरोसा मजबूत करने के लिए अब बैलेट पेपर से चुनाव कराने की व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। अगर किसी कारण से यह अभी संभव न हो, तो कम से कम हर बूथ पर VVPAT बॉक्स में गिरने वाली सभी पर्चियों की गिनती हो और उसे EVM के नतीजों से मिलाया जाए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का यह तर्क गलत है कि इससे ज्यादा समय लगेगा, क्योंकि अगर कुछ घंटे अतिरिक्त लगते हैं तो इसमें कोई नुकसान नहीं है। जब वोटिंग महीनों चलती है, तो गिनती थोड़ा बढ़ने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इससे लोगों का विश्वास बढ़ेगा और सभी तरह के संदेह खत्म होंगे।