Bihar Chunav 2025: NDA या INDIA, किसके साथ जाएगी बसपा,
मायावती ने तोड़ दी चुप्पी, किया ये बड़ा ऐलान
8 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Bihar Chunav: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने रविवार को अपने आधिकारिक X हैंडल पर घोषणा करते हुए साफ कहा कि BSP किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी। चाहे वह कांग्रेस-आरजेडी का INDIA गठबंधन हो या बीजेपी-जेडीयू का एनडीए, BSP इन दोनों से दूरी बनाए रखेगी। मायावती ने कहा कि पार्टी आगामी चुनाव में अपने दम पर सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। यह फैसला उन्होंने वरिष्ठ नेताओं के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद लिया है।
आकाश आनंद को मिली बड़ी जिम्मेदारी
मायावती ने बिहार में पार्टी की कमान अपने भतीजे और राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद, केंद्रीय कोऑर्डिनेटर रामजी गौतम और BSP की बिहार इकाई को सौंपी है। उन्होंने कहा कि चुनावी तैयारियां उनके प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में होंगी। आकाश आनंद सितंबर से बिहार में ‘अधिकार यात्रा’ की शुरुआत करेंगे, जो दो दर्जन जिलों को कवर करेगी। इस यात्रा का उद्देश्य दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों से सीधा संवाद कर पार्टी का आधार मजबूत करना है। हाल ही में आकाश को फिर से राष्ट्रीय संयोजक बनाए जाने के बाद उनकी भूमिका और अहम हो गई है।
BSP की रणनीति और मुद्दे
पार्टी ने बिहार को तीन जोन में बांटकर अपनी रणनीति बनाई है। हर जोन की जिम्मेदारी वरिष्ठ नेताओं को दी गई है। BSP का फोकस दलित और अति पिछड़ा (EBC) समुदायों के साथ-साथ अन्य जातियों पर भी रहेगा। मायावती ने ‘मायावती मॉडल’ का जिक्र करते हुए कहा कि जाटव/रविदास समुदाय के साथ अन्य जातियों को जोड़ना पार्टी का लक्ष्य होगा। चुनावी मुद्दों में बेरोजगारी, शिक्षा, और स्वच्छ राजनीति पर जोर दिया जाएगा। मायावती का कहना है कि BSP सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक उत्थान के एजेंडे पर काम करेगी।
गठबंधन से दूरी और चुनौतियां
मायावती ने हाल के वर्षों में गठबंधनों से दूरी बनाई है। 2019 लोकसभा चुनाव में सपा के साथ मिलकर BSP ने 10 सीटें जीती थीं, लेकिन 2024 में अकेले लड़कर पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय गठबंधनों से दूरी बनाने का फैसला किया। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में BSP को कोई सफलता नहीं मिली थी। इस बार पार्टी दलित और EBC वोटों को एकजुट कर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है। साथ ही, पसमांदा मुस्लिम वोटों को भी साधने की रणनीति बनाई जा रही है। हालांकि, NDA और INDIA गठबंधन की मजबूत मौजूदगी के बीच BSP का अकेले मैदान में उतरना चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इससे वोटों का बंटवारा हो सकता है, लेकिन मायावती का यह फैसला उनकी पार्टी की स्वतंत्र पहचान को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है।