इटावा में बन रहे अखिलेश यादव के 'केदारेश्वर मंदिर' पर विवाद गहराया,
केदारनाथ के तीर्थ पुरोहितों ने जताया आक्रोश
8 days ago
Written By: NEWS DESK
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में बन रहे ‘केदारेश्वर मंदिर’ को लेकर धार्मिक विवाद खड़ा हो गया है। इस मंदिर का निर्माण समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा कराया जा रहा है। मंदिर की संरचना और नाम केदारनाथ धाम से मिलती-जुलती होने के चलते उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहितों ने इसे धार्मिक भावनाओं का अपमान बताया है।
तीर्थ पुरोहितों ने जताई आपत्ति, दी आंदोलन की चेतावनी
केदारनाथ के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित और चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने इस मुद्दे पर तीखा विरोध जताया है। उन्होंने कहा है कि, “केदारनाथ धाम केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था और परंपरा का प्रतीक है। इसकी प्रतिकृति किसी अन्य राज्य में बनाना न सिर्फ धार्मिक परंपराओं का उल्लंघन है, बल्कि श्रद्धालुओं की भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ है।” तीर्थ पुरोहितों का आरोप है कि इटावा का केदारेश्वर मंदिर पूरी तरह केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति है, जिसमें नाम, ढांचा, रंग और स्वरूप तक हूबहू मिलते हैं। उन्होंने इसे उत्तराखंड की धार्मिक अस्मिता और सांस्कृतिक सम्मान के खिलाफ बताया।
बीकेटीसी की चुप्पी पर सवाल
चारधाम महापंचायत ने बद्री-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए हैं। तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि “बीकेटीसी केवल आमदनी पर ध्यान दे रही है, जबकि यात्रियों की सुविधाओं और धार्मिक मामलों पर कोई सक्रियता नहीं दिखा रही है। इस तरह की गंभीर धार्मिक स्थिति में भी समिति की चुप्पी दुर्भाग्यपूर्ण है।”
उत्तर प्रदेश सरकार से की ये मांग
तीर्थ पुरोहितों ने योगी आदित्यनाथ सरकार से मांग की है कि इटावा में बन रहे मंदिर का नाम, डिज़ाइन और रंग-रूप बदला जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर यह मांग नहीं मानी गई तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव के आवास के बाहर प्रदर्शन किया जाएगा और देशभर में आंदोलन छेड़ा जाएगा।
“धार्मिक लाभ की कोशिश” का आरोप
तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि अखिलेश यादव ने आज तक केदारनाथ धाम की यात्रा नहीं की, फिर भी उन्होंने राजनीतिक लाभ के लिए मंदिर की नकल की है। इसे न सिर्फ धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ बल्कि राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित प्रयास भी करार दिया गया है।