कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद को लेकर मौलाना इसहाक गोरा ने दी प्रतिक्रिया,
कहा- "देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब को न बिगाड़ें"
22 days ago
Written By: NEWS DESK
कांवड़ यात्रा के दौरान प्रशासन द्वारा दिए गए उस आदेश को लेकर प्रतिक्रिया सामने आई है जिसमें कांवड़ मार्गों पर दुकानों और ढाबों पर नेमप्लेट लगाने को कहा गया है। इस पर जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक और देवबंद के प्रमुख उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने इसे "टीस पहुंचाने वाला और डर फैलाने वाला कदम" बताया है।
भारत अनेक धर्मों का गुलदस्ता
मौलाना इसहाक गोरा ने कहा है कि, हमारा देश अनेक धर्मों का गुलदस्ता है, जहां हर किसी को अपने मजहबी रिवाजों को निभाने की आज़ादी है, और यही इस मुल्क की असली खूबसूरती है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर यह नियम कांवड़ यात्रा के दौरान लागू किया जा रहा है, तो क्या अन्य धर्मों के त्योहारों पर भी यही मापदंड लागू होगा ?
पेंट उतरवाकर पहचान करना अमानवीय कृत्य
मौलाना इसहाक गोरा ने मुजफ्फरनगर की उस घटना की भी कड़ी आलोचना की जिसमें एक ढाबे पर काम करने वाले व्यक्ति की पेंट उतरवाकर उसकी धार्मिक पहचान की जांच की गई। उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकतें न सिर्फ संविधान और मानवता के खिलाफ हैं, बल्कि यह व्यापार करने वाले लोगों में डर और असुरक्षा का माहौल भी पैदा करती हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि, "इन लोगों को किसने अधिकार दिया है कि वे किसी व्यक्ति की पहचान इस तरह से जांचें?" यदि ऐसा ही चलता रहा, तो मुस्लिम और अन्य समुदायों के व्यापारी कांवड़ मार्ग पर व्यापार करना बंद कर देंगे, जिससे सबसे अधिक दिक्कत कांवड़ यात्रियों को ही होगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन जरूरी
मौलाना ने अपील की है कि, त्योहारों को त्योहार की तरह मनाया जाना चाहिए, न कि सियासत का ज़रिया बनाया जाए। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले वर्ष भी इस तरह का मामला सामने आया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए थे। उन निर्देशों को सभी को मानना चाहिए। मौलाना इसहाक गोरा ने अंत में कहा कि, मजहब या त्योहारों पर राजनीति करना देश के लिए सही नहीं है। सभी धर्मों और समुदायों को एक साथ मिलकर रहना चाहिए, क्योंकि यही भारत की असली पहचान है।