कांवड़ यात्रा बनी उत्पात का पर्याय?
मौलाना कौसर हयात ने गृह मंत्री को लिखा पत्र, की कड़ी कार्रवाई की मांग
10 days ago
Written By: NEWS DESK
कांवड़ यात्रा को लेकर देश में एक बार फिर बहस तेज हो गई है। इस बार इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना कौसर हयात खान ने इस धार्मिक यात्रा को लेकर गृह मंत्री अमित शाह को एक गंभीर पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने यात्रा के दौरान हो रही अराजकता, आम जनता को हो रही परेशानियों और प्रशासन की की दुनाकों से निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। साथ थी मीट की दुकानों से प्रतिबंध हटाने की मांग भी की गई है।
धार्मिक आयोजन या अराजकता का मंच ?
मौलाना कौसर हयात ने अपने पत्र में लिखा है कि, "कांवड़ यात्रा एक धार्मिक आयोजन है, परंतु आज इसे एक खास मानसिकता के तहत ‘उत्पात आयोजन’ बना दिया गया है। यात्रा की शुरुआत के साथ ही कई स्थानों पर मारपीट, संपत्ति को नुकसान, वाहनों की तोड़फोड़ और दुकानों पर उत्पात की घटनाएं सामने आ रही हैं।" उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब कुछ पुलिस की मौजूदगी में हो रहा है और कई स्थानों पर तो कांवड़ियों और पुलिस के बीच भी झड़प हुई है, जिसमें पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।
सरकार पर पक्षपात का आरोप
पत्र में मौलाना हयात ने कहा है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारें केवल कांवड़ियों की सुविधा का ध्यान रख रही हैं, जबकि आम जनता की सुरक्षा और सुविधा को नजरअंदाज किया जा रहा है। “सरकार एक तरफ कांवड़ियों को सहूलियत देने के लिए पुलिस बल तैनात कर रही है, वहीं आम नागरिक, महिलाएं और बच्चे इनकी उत्पातकारी हरकतों के आगे असहाय हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन ने अराजक तत्वों को खुली छूट दे दी है।”
मीट की दुकानें बंद, लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी पर संकट
मौलाना कौसर हयात ने अपने पत्र में एक अहम मुद्दा उठाते हुए कहा है कि, कांवड़ यात्रा के दौरान मीट की दुकानों और होटलों को बंद कराना, जबकि शराब की दुकानें खुले रहने देना। "सरकार का यह निर्णय न सिर्फ धार्मिक पक्षपात को दर्शाता है बल्कि इससे लाखों लोग बेरोजगारी की चपेट में आ गए हैं। छोटे दुकानदारों और कामगारों की आजीविका पर सीधा असर पड़ा है।" उन्होंने कहा है कि, ऐसे आदेशों से आम जनता के मन में असंतोष पनप रहा है और यह लोकतंत्र और समानता की भावना के खिलाफ है।
यातायात ठप, आम जनता परेशान
पत्र में कहा गया है कि यात्रा के कारण मुख्य सड़कों और शहरों के रास्तों को बंद कर दिया गया है, जिससे देश की करोड़ों जनता को भारी कष्ट झेलना पड़ रहा है। “रोज़मर्रा की आवाजाही में बाधा, वाहनों की देरी, मेडिकल आपात स्थितियों में परेशानी और सामान्य यात्रियों को अधिक समय व धन खर्च करना पड़ रहा है।”
सरकार को सुझाव
अपने पत्र में मौलाना कौसर हयात ने गृह मंत्री को कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं, जिनमें प्रमुख हैं-
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मुख्य मार्गों की जगह वैकल्पिक ‘कांवड़ कॉरिडोर’ की व्यवस्था की जाए, जिससे यात्रा भी सुचारू रहे और आम जनता को भी असुविधा न हो।
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मीट की दुकानों और होटलों से प्रतिबंध हटाया जाए, जिससे लाखों लोगों की आजीविका बहाल हो सके।
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कांवड़ यात्रा में शामिल अराजक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं।
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यात्रा के दौरान हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा मुआवज़े के रूप में की जाए।
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जनसुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए, ना कि केवल धार्मिक भीड़ को।
पहले भी दे चुके हैं चेतावनी
मौलाना ने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि उन्होंने 15 जुलाई 2024 को मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश और 1 अगस्त 2024 को पुलिस महानिदेशक को पत्र भेजा था, जिसमें इन्हीं समस्याओं का जिक्र किया गया था। लेकिन सरकार की ओर से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया।