‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म पर जमीअत उलेमा-ए-हिंद का विरोध,
मौलाना क़ाब रशीदी बोले- फिल्म पर लगे बैन, देशद्रोह का केस दर्ज हो
17 days ago
Written By: NEWS DESK
राजस्थान के बहुचर्चित उदयपुर हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर अब विवाद और तीखा होता जा रहा है। उत्तर प्रदेश में जमीअत उलेमा-ए-हिंद के कानूनी सलाहकार मौलाना क़ाब रशीदी ने इस फिल्म का कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि, यह फिल्म भारत की सामाजिक एकता को तोड़ने और दो समुदायों में नफरत फैलाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा है कि, फिल्म के निर्माताओं और निर्देशकों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए, साथ ही फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई जानी चाहिए।
“नबी ए करीम और दारुल उलूम पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी”
मौलाना रशीदी ने आरोप लगाया है कि, इस फिल्म में न केवल पैगंबर ए इस्लाम के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई हैं, बल्कि भारत के मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था दारुल उलूम देवबंद को भी निशाना बनाया गया है। “दारुल उलूम देवबंद का देश की आज़ादी में ऐतिहासिक योगदान रहा है। ऐसी संस्था पर फिल्म में टिप्पणी करना न सिर्फ़ अस्वीकार्य है, बल्कि ये संविधान और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ है।” उन्होंने यह भी कहा कि जिस महिला को पैगंबर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के चलते भाजपा ने छह साल के लिए निलंबित किया था, उसे भी फिल्म में दिखाया गया है और उसके विवादित बयान को दोबारा प्रचारित किया गया है, जिससे भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि धूमिल होती है।
“फिल्म समाज में नफरत फैलाने की साज़िश”
मौलाना का कहना है कि यह फिल्म इस्लाम धर्म को टारगेट करने के लिए जानबूझकर बनाई गई है और यह कोई संयोग नहीं बल्कि एक राजनीतिक प्रयोग है। “पहले भी कई फाइल्स नाम की फिल्में बनीं और वे फ्लॉप रहीं। अब फिर वही हथकंडा अपनाया जा रहा है। यह सीधे-सीधे समाज को बांटने और देश की अखंडता पर हमला है।” उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में इस फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की याचिका दाखिल की गई है।
चुनाव आयोग और कांवड़ मार्ग पर भी सवाल
फिल्म के अलावा मौलाना रशीदी ने बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर भी चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए और आरोप लगाया कि, यह सब कुछ एक पार्टी के पक्ष में रास्ता आसान करने के लिए किया जा रहा है। “देश के नागरिकों को उनके मौलिक वोट देने के अधिकार से वंचित करना संविधान के खिलाफ है। ये एक खतरनाक साजिश है।” कांवड़ यात्रा के दौरान होटल-ढाबों की पहचान तय करने के फैसले पर भी मौलाना ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर यही बात रमज़ान या ईद पर मुस्लिम समुदाय कहने लगे कि वह दूसरे धर्म से व्यापार नहीं करेगा तो क्या होगा? उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि, “ऐसे संवेदनशील मामलों में सामाजिक सौहार्द बना रहे, इसके लिए विचार-विमर्श कर संतुलित नीति बनाई जानी चाहिए, जिससे समाज में मोहब्बत और भाईचारा बना रहे।”