भक्ति को जाति से जोड़ना गलत, धर्म की एकता पर दें ध्यान,
इटावा कथावाचक विवाद पर बोले डॉ. कुमार विश्वास
1 months ago
Written By: NEWS DESK
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में कथावाचक विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। भागवत कथा के दौरान कथावाचकों के साथ हुई मारपीट और जातीय आरोपों ने इस मामले को गरमा दिया है। अब इस मुद्दे पर चर्चित कवि और लेखक डॉ. कुमार विश्वास ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है, जिससे विवाद को और नई दिशा मिल गई है।
“भक्ति को जाति के चश्मे से देखना दुर्भाग्यपूर्ण”
एनडीटीवी के एक कार्यक्रम में शामिल हुए कुमार विश्वास ने इटावा मामले पर खुलकर कहा है कि “आस्था और भक्ति को जाति के दायरे में बांधना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि समाज को पीछे ले जाने वाला भी है।” उन्होंने कहा कि, कथावाचक का काम भगवान और भक्त के बीच एक सेतु का निर्माण करना है, न कि समाज में विभाजन फैलाना।
विवादों से कमजोर होती है धार्मिक पवित्रता
वहीं, कुमार विश्वास ने धार्मिक आयोजनों में जातीय भेदभाव को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि, “ऐसे विवादों से धर्म की पवित्रता कमजोर होती है और समाज में वैमनस्य बढ़ता है।” उन्होंने समाज से आग्रह किया कि “जातिवाद से ऊपर उठकर धार्मिक एकता और सहिष्णुता को बढ़ावा दें।”
बड़े संतों की चुप्पी पर उठाए सवाल
कुमार विश्वास ने इटावा कांड पर कई बड़े कथावाचकों और संतों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए और कहा कि, “जब समाज में इस तरह के धार्मिक अपमानजनक घटनाएं होती हैं, तो धार्मिक नेतृत्व को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।” उनकी यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है और उन्हें बड़े पैमाने पर समर्थन मिल रहा है।
क्या है इटावा कथावाचक विवाद?
दरअसल 21 जून को इटावा जनपद के दांदरपुर गांव में भागवत कथा के दौरान कथावाचक मुकुट मणि यादव और संत सिंह यादव के साथ मारपीट, चोटी काटने और अपमानजनक व्यवहार की घटना हुई। आरोप था कि कथावाचकों ने अपनी यादव जाति छिपाकर ब्राह्मण बनकर कथा सुनाई, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। वहीं यजमान रेनू तिवारी ने कथावाचक मुकुट मणि पर छेड़खानी का भी आरोप लगाया।
वहीं इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया और कथावाचकों के खिलाफ फर्जी आधार कार्ड और धोखाधड़ी के तहत एफआईआर दर्ज की गई। मामला बढ़ते-बढ़ते राजनीतिक रंग ले चुका है।
राजनीतिक हलचल तेज
वहीं इस पूरी घटना के बाद, समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव ने इस घटना को जातिवादी हमला बताया है, जबकि ब्राह्मण महासभा ने कथावाचकों की भूमिका की जांच की मांग की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे मामले की जांच झांसी पुलिस को सौंपी है। इस पूरे विवाद ने जातीय तनाव और सियासी बयानबाजी को तेज कर दिया है।