इटावा कथा विवाद ने पकड़ा सियासी तूल,
अखिलेश यादव और शंकराचार्य आमने-सामने
1 months ago
Written By: NEWS DESK
उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचकों के साथ हुई कथित अभद्रता का मामला अब प्रशासनिक दायरे से निकलकर पूरी तरह से राजनीतिक रंग ले चुका है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस प्रकरण पर सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर बयान जारी कर भाजपा पर तीखा हमला बोला है, जबकि इस पर ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी अखिलेश यादव को घेरते हुए जवाबी वार किया है।
प्लांटेड लोगों के उपनामों का दुरुपयोग कर रही BJP
अखिलेश यादव ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि, उत्तर प्रदेश का अमन-चैन बिगाड़ने के पीछे भाजपा की 'घुसपैठिया राजनीति' जिम्मेदार है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा अपने ‘प्लांटेड लोगों’ के उपनामों का दुरुपयोग कर रही है और पड़ोसी राज्यों से लोगों को बुलाकर प्रदेश की शांति भंग करने का षड्यंत्र रच रही है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए पूछा, “क्या अब यूपी में भाजपा के पास ऐसा कोई नेता नहीं बचा जिस पर दिल्लीवाले भरोसा कर सकें?” साथ ही उन्होंने चेताया कि प्रदेश की सीमाओं से अराजकतत्वों की आवाजाही बढ़ रही है और सरकार ने यदि जल्द कार्रवाई नहीं की, तो जनता भाजपा को एक “काग़ज़ी सरकार” मानने लगेगी।
शंकराचार्य ने साधा निशाना
इसी बीच, इस पूरे मामले को लेकर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने अखिलेश यादव के PDA फॉर्मूले (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि “आप हिन्दू समाज को तोड़ने के लिए खड़े हो गए हैं।” उन्होंने कहा कि सनातन धर्म हजारों वर्षों की गुलामी के बाद भी अडिग रहा है और अब भी रहेगा। शंकराचार्य ने यह भी कहा कि राजनीति का कोई धार्मिक समीकरण नहीं हो सकता क्योंकि वास्तविक समीकरण तो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र (BKVS) से बना है, जो वेदों से चला आ रहा है।
PDA अपमान कांड
वहीं अखिलेश यादव ने इसे ‘पीडीए अपमान कांड’ की संज्ञा देते हुए लिखा कि, कुछ प्रभुत्ववादी लोगों ने उस कलाकार तक को नहीं छोड़ा जो अपनी ढोलक की थाप से लोगों के दिल जीतता है। उन्होंने इस घटना को सामाजिक अन्याय और उत्पीड़न का प्रतीक बताते हुए कहा कि पीडीए अब प्रतिशोध नहीं, सोच के परिवर्तन की पुकार है। उन्होंने लिखा, “पीडीए यानी पीड़ा, दुख और अपमान का त्रिदंश झेल रहे समाज की चेतना और एकजुटता की आवाज़ है। यह सामाजिक न्याय की स्थापना का संकल्प है जो समता, समानता, गरिमा और प्रतिष्ठा सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया कदम है।”