जातिगत जनगणना 2027: मुस्लिम समुदाय से खास अपील,
मौलवियों या कट्टरपंथी तत्वों के बहकावे में न आएं मुसलमान
1 months ago
Written By: NEWS DESK
Muslim Caste Census: जनगणना 2027 को लेकर केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। इस ऐलान के साथ ही अब जातिगत जनगणना की तैयारियां शुरू हो गई हैं, जो देशभर में सामाजिक न्याय और नीतिगत बदलावों की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने भी इस कदम का स्वागत किया है। मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने मुस्लिम समुदाय से एक खास अपील भी की है।
“जातिगत जनगणना है, धार्मिक नहीं” – जमाल सिद्दीकी
जमाल सिद्दीकी ने स्पष्ट किया है कि, जनगणना का यह अभियान धार्मिक जनगणना नहीं बल्कि जातिगत जानकारी जुटाने का प्रयास है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लोगों से आग्रह किया कि वे फॉर्म भरते समय अपनी सही जाति की जानकारी दें, और किसी भी प्रकार के मौलवियों या कट्टरपंथी तत्वों के बहकावे में न आएं।
पसमांदा मुसलमानों को होगा सीधा लाभ
सिद्दीकी ने आगे कहा है कि मुस्लिम समाज में भी जातियों की विविधता है, लेकिन उन्हें अब तक एकसमान धार्मिक पहचान में समेट दिया जाता रहा है। इसका नतीजा ये रहा कि मुस्लिम समाज के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े तबके, खासतौर पर पसमांदा मुस्लिम, सरकारी योजनाओं और राजनीतिक प्रतिनिधित्व से वंचित रह गए। उन्होंने यह भी बताया है कि, मुस्लिम समाज में लगभग 85% लोग पसमांदा वर्ग से हैं, लेकिन उनके पास आज भी ठोस आंकड़े नहीं हैं, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं या प्रतिनिधित्व का पूरा लाभ नहीं मिल पाता। ऐसे में जातिगत जनगणना उनकी वास्तविक स्थिति को सामने लाने में मददगार साबित होगी।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर भी सवाल
इस दौरान जमाल सिद्दीकी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि, यह संस्था खुद को देशभर के मुस्लिमों का प्रतिनिधि बताती है, लेकिन इसमें एक भी पसमांदा मुस्लिम सदस्य नहीं है, जो कि गंभीर चिंता का विषय है।
‘गुमराह करने वालों से बचें’
सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि, कुछ कट्टरपंथी लोग यह कहकर गुमराह कर रहे हैं कि मुसलमान अपनी जाति “इस्लाम” लिखें, जबकि यह प्रक्रिया जाति आधारित जानकारी के लिए है, धर्म के लिए नहीं। अगर मुस्लिम समाज अपनी सटीक जातीय जानकारी नहीं देगा, तो पसमांदा वर्ग की पहचान, समस्याएं और उनके समाधान से जुड़ी नीतियां अधूरी रह जाएंगी।