आजमगढ़ में अखिलेश यादव के खिलाफ ब्राह्मण समाज का विरोध,
घरों पर लगाया काला झंडा
22 days ago
Written By: NEWS DESK
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के इटावा कांड के बाद ब्राह्मण समाज को लेकर दिए गए बयान पर आजमगढ़ में विरोध तेज हो गया है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव आजमगढ़ जिले के अनवरगंज में अपने आवास और कार्यालय का उद्घाटन करने गए थे, लेकिन उससे पहले जिलेभर के ब्राह्मण समाज के लोगों ने काला झंडा लगाकर अपना विरोध दर्ज कराया। बताया जा रहा है कि, ब्राह्मण समाज ने यह विरोध अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा और विश्व हिंदू महासंघ के आह्वान पर जताया है। वहीं उनके विरोध स्वरूप सुबह से ही जिले के कई गांवों में ब्राह्मण परिवारों ने अपने घरों पर काले झंडे लगा दिए।
कंधरापुर से लेकर दीदारगंज तक फैला विरोध
दरअसल जैसे ही उन्हें जानकारी हुई कि, सपा मुखिया का आगमन कंधरापुर थाना क्षेत्र के अनवरगंज में हो रहा है। इसी क्षेत्र के उगर पट्टी, चेवता और गौरी नारायणपुर जैसे ब्राह्मण बाहुल्य गांवों में भी घर-घर काले झंडे लहराए गए। इसके अलावा रौनापार थाना क्षेत्र के बनहरा, मुबारकपुर के गजहड़ा, देवगांव के चेवार और दीदारगंज के पलथी गांव सहित सैकड़ों ब्राह्मण परिवारों ने भी इस तरह से शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया।
'ब्राह्मण-यादव समाज के बीच खाई पैदा करने वाला बयान'
विरोध कर रहे ब्राह्मण समाज के लोगों का कहना है कि, इटावा की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और दोषियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर रही है। लेकिन अखिलेश यादव ने पूरे ब्राह्मण समाज को कटघरे में खड़ा कर दिया, जो निंदनीय है। लोगों का कहना है कि, गांवों में यादव और ब्राह्मण समाज समेत अन्य जातियां भाईचारे के साथ रहती हैं, लेकिन अखिलेश यादव के बयान से इन समुदायों के बीच दूरी बढ़ी है। यह बयान राजनीतिक लाभ के लिए दिया गया था, जो समाजिक समरसता को ठेस पहुंचाने वाला है।
'काला झंडा लगाकर शांतिपूर्वक विरोध'
ब्राह्मण समाज के लोगों ने साफ किया कि, उनका विरोध पूरी तरह शांतिपूर्ण है और उन्होंने सिर्फ अपने घरों पर काले झंडे लगाकर नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि, वे किसी टकराव या हिंसा के पक्ष में नहीं हैं।
सपा का गढ़ बना विरोध का केंद्र
गौरतलब है कि, आजमगढ़ समाजवादी पार्टी का मजबूत गढ़ माना जाता है। जिले की सभी 10 विधानसभा सीटें सपा के पास हैं और दो सांसद भी सपा से हैं। ऐसे में अखिलेश यादव जब अपने गढ़ से 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू करने पहुंचे हैं, तो उन्हें ब्राह्मण समाज के तीखे विरोध का सामना करना पड़ रहा है।