अखिलेश यादव और तेज प्रताप की वीडियो कॉल पर बढ़ी सियासी हलचल,
'कॉल किसने किया' को लेकर बयानबाज़ी तेज
1 months ago
Written By: NEWS DESK
उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति में उस वक्त हलचल मच गई जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बिहार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव की वीडियो कॉलिंग की चर्चा सार्वजनिक हुई। पहले जहां तेज प्रताप ने दावा किया कि अखिलेश यादव ने उन्हें कॉल किया था, वहीं अब अखिलेश यादव ने इसे साफ करते हुए कहा है कि फोन तेज प्रताप यादव की तरफ से आया था।
वीडियो कॉल पर सियासत
दरसल लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव से जब इस मसले पर सवाल किया गया तो उन्होंने सहजता से जवाब देते हुए कहा, "मुझे नहीं पता था कि ये इतनी सीरियस बात बन जाएगी। ये तो नई टेक्नोलॉजी है, उनका कॉल आया दो बार, मुझे लगा कोई इमरजेंसी होगी। तो मैंने रीडायल कर दिया। वो वीडियो कॉल था। जब उठ ही गया तो काटना भी ठीक नहीं लगता, इसलिए बात कर ली।" उन्होंने आगे बताया कि कॉल के दौरान उन्होंने केवल यही पूछा कि क्या बिहार में चुनाव लड़ने जा रहे हैं या नहीं। अखिलेश ने साफ किया कि तेज प्रताप से उनके पारिवारिक रिश्ते अच्छे हैं, और इस कॉल में कोई राजनीतिक साजिश नहीं थी।
बीजेपी पर सीधा हमला
अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर बात करते हुए भारतीय जनता पार्टी पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, "बीजेपी बहुत बुरी तरह हार रही है। बिहार के लोग महाराष्ट्र वाला फार्मूला समझ चुके हैं—जहां एक सीएम दिखाया गया और बाद में बदल दिया गया। बिहार के लोग राजनीतिक रूप से बहुत समझदार हैं।"
तेज प्रताप यादव ने कहा – अकेला नहीं हूं
तेज प्रताप यादव ने भी इस बातचीत को लेकर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि, "आज मेरे परिवार के सबसे प्यारे सदस्य यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी से वीडियो कॉल पर लंबी बात हुई। इस दौरान बिहार की राजनीति पर भी चर्चा हुई। जब उनका अचानक कॉल आया, तो लगा जैसे मैं अपनी लड़ाई में अकेला नहीं हूं।"
दोनों दलों की रणनीति के संकेत
वहीं, इस वीडियो कॉल को लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। क्या ये महागठबंधन की एक नई रूपरेखा की शुरुआत है? क्या यह संकेत है कि उत्तर और पूर्व भारत की विपक्षी ताकतें 2025-26 के चुनावी रण के लिए एकजुट हो रही हैं? फिलहाल, दोनों नेताओं ने इस बातचीत को व्यक्तिगत संबंधों और सामान्य राजनीतिक हालात की चर्चा बताया है, लेकिन विपक्ष के भीतर चल रही हलचलों और संभावित समीकरणों पर सभी की नजरें टिकी हैं।