धार्मिक आयोजनों में प्रोफेशनलिज्म पर गरमाई बहस,
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने अखिलेश यादव के बयान का किया समर्थन
25 days ago
Written By: NEWS DESK
इटावा में कथावाचक के साथ हुई घटना ने जहां प्रदेशभर में हंगामा मचा रखा है, वहीं अब इस मुद्दे पर बयानबाजी भी तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा कथावाचकों को लेकर दिए गए बयान ने इस बहस को एक नया मोड़ दे दिया है। अब ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने भी इस मुद्दे पर खुलकर अपना पक्ष रखा है।
अखिलेश यादव का बयान सच्चाई पर आधारित
प्रेस को जारी एक बयान में मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा, “मैं अखिलेश यादव का समर्थक नहीं हूं, लेकिन उन्होंने आज जो बात कही, वह दिल और दिमाग से कही गई सच्ची बात है।” उन्होंने कहा है कि, हिंदू कथावाचक, मुस्लिम मौलवी और शायर अब धर्म के नाम पर दुनियादारी करने में लगे हैं। ये लोग अब पूरी तरह प्रोफेशनल हो चुके हैं और धार्मिक आयोजनों को गरीबों के लिए लगभग असंभव बना दिया है।
“धार्मिक आयोजन गरीब के लिए अब सपना”
मौलाना रजवी ने कहा कि आज के समय में किसी गरीब व्यक्ति के लिए धार्मिक आयोजन कराना बेहद महंगा और कठिन हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि, कथावाचक, मौलवी और शायर अपने निजी सचिवों के ज़रिए मोलभाव करते हैं, पहले एडवांस पेमेंट लेते हैं, फिर ही मंच पर आते हैं, फीस तय करने के बाद ही ‘धर्म प्रचार’ का दावा करते हैं।
“धर्म प्रचार नहीं, निजी सेवा बन गया मंच”
मौलाना का कहना है कि, इन लोगों ने धर्म का चोला ओढ़कर अपनी सेवा को ही धर्म प्रचार का नाम दे दिया है। उन्होंने इसे खोखला दावा बताया और कहा कि यह समाज को भ्रमित करने वाला कार्य है।
जनता से किया बहिष्कार का आह्वान
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने जनता से अपील की कि ऐसे कथावाचकों, मौलवियों और शायरों को अपने आयोजनों में न बुलाएं। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि, “कुछ लोग आज भी निःस्वार्थ भाव से धर्म की सेवा कर रहे हैं, ऐसे लोगों को ज़रूर बुलाना चाहिए ताकि समाज में अच्छा संदेश जाए।”
अखिलेश यादव को मिल रहा समर्थन
मौलाना के इस बयान को अखिलेश यादव के उस बयान के समर्थन के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने कथावाचकों की बढ़ती फीस और धार्मिक आयोजनों के बाजारीकरण पर टिप्पणी की थी। इस प्रतिक्रिया से अब देशभर में धार्मिक मंचों पर सक्रिय प्रोफेशनल वक्ताओं और कथावाचकों पर सीधा सवाल खड़ा हो गया है।