संजय निषाद के तीखे तेवर के बाद सपा का दांव,
भाजपा का जारी है घेराव, सियासी गलियारों में बढ़ी हलचल
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश की सियासत एक बार फिर गरमाती नज़र आ रही है। राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की है। गोरखपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान संजय निषाद ने कहा कि अगर बीजेपी को लगता है कि एनडीए में उनकी पार्टी से कोई फायदा नहीं हो रहा है, तो वो गठबंधन तोड़ सकती है। वहीं इस बयान के बाद यूपी की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी ने संजय निषाद की इस नाराजगी पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी पर हमला बोला है।
“चुनाव नज़दीक हैं, बागी होते जाएंगे सहयोगी”
वहीं समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने संजय निषाद के बयान पर एक्स (Twitter) पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, "उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब मुश्किल से एक साल और चार-पांच महीने बाकी हैं। दिसंबर 2026 में आचार संहिता लग जाएगी। उससे पहले भाजपा के सहयोगी दल जैसे राजभर और निषाद के बोल बागी होते जा रहे हैं। जैसे-जैसे चुनाव करीब आएगा, वैसे-वैसे पिछड़ी जातियों के नाम पर राजनीति करने वाले सभी दल, पिछड़ों के आरक्षण का हक खाने वालों से दूर हो जाएंगे। ये पीडीए की ताकत है।" वहीं सपा के इस बयान के बाद साफ हो गया है कि विपक्षी दल बीजेपी और उसके सहयोगियों के बीच बढ़ती खटास को अपने लिए सियासी मौका मान रहे हैं।
संजय निषाद ने बीजेपी से जताया असंतोष
संजय निषाद ने अपने बयान में कहा कि बीजेपी को अपने सहयोगी दलों – निषाद पार्टी, रालोद और सुभासपा पर भरोसा बनाए रखना चाहिए। अगर पार्टी को भरोसा नहीं है, तो कड़े फैसले लेने चाहिए। उन्होंने कहा कि ये सभी दल समाज को सही दिशा में लेकर जा रहे हैं और इसका फायदा सीधे बीजेपी को मिल रहा है।
मंत्री ने 2018 की राजनीतिक स्थिति का जिक्र करते हुए कहा, "जब 2018 में सपा और बसपा एक हो गए थे, तब भी हमने एनडीए को ऐतिहासिक जीत दिलाई। अगर बीजेपी को अब लगता है कि हमसे फायदा नहीं हो रहा, तो गठबंधन तोड़ दें। लेकिन बाहरी नेताओं से हम लोगों के खिलाफ बयान दिलवाना ठीक नहीं है।"
2024 की नाराजगी और 2027 की चेतावनी
संजय निषाद ने साफ शब्दों में कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी को कुछ नहीं मिला, लेकिन अब 2027 के विधानसभा चुनाव में हालात अलग हो सकते हैं। उन्होंने बीजेपी को आगाह करते हुए कहा कि सपा-बसपा से आए बाहरी नेताओं से सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि ये एनडीए में शामिल होकर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
राजनीतिक समीकरणों पर असर
संजय निषाद के इस बयान ने बीजेपी के भीतर नए सियासी समीकरणों को जन्म दे दिया है। पहले ही यूपी में बीजेपी के अन्य सहयोगी दल, जैसे ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा, भी कई मौकों पर नाराजगी जता चुके हैं। ऐसे में 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए अपने सहयोगियों को साधना एक बड़ी चुनौती बन सकता है।