उत्तराखंड में बड़े भूकंप की आशंका,
वैज्ञानिकों की चेतावनी से बढ़ी चिंता
12 days ago
Written By: NEWS DESK
उत्तराखंड, जो हिमालय की गोद में बसा एक सुंदर लेकिन संवेदनशील राज्य है, इन दिनों भूकंप के खतरे को लेकर सुर्खियों में है। पिछले कुछ समय से राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगातार छोटे-छोटे भूकंप दर्ज किए जा रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती के भीतर इकट्ठी हो रही ऊर्जा भविष्य में किसी बड़े भूकंप का संकेत हो सकती है।
हिमालय क्षेत्र में बड़े भूकंप की आशंका
देश के कई भूवैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में यह साफ किया है कि उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में 7.0 तीव्रता तक का बड़ा भूकंप आ सकता है। जून में देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट और एफआरआई में आयोजित विशेष कार्यशालाओं में वैज्ञानिकों ने चेताया कि छोटे भूकंपों की संख्या इतनी नहीं है कि यह माना जा सके कि सारी ऊर्जा निकल चुकी है।
भूकंपीय गतिविधियों पर लगातार नजर
नेशनल सेंटर ऑफ जियोलॉजी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 6 महीनों में उत्तराखंड में कुल 32 बार 1.8 से 3.6 तीव्रता तक के भूकंप दर्ज किए गए। इनमें चमोली, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी और बागेश्वर प्रमुख प्रभावित जिले रहे। गौरतलब है कि उत्तरकाशी (1991) और चमोली (1999) में 6.8 से 7.0 तीव्रता के भूकंप आ चुके हैं।
GPS से होगी गहराई से निगरानी
उत्तराखंड में दो जगहों पर GPS डिवाइस लगाए गए हैं, जिनका मकसद यह पता लगाना है कि किन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा टेक्टोनिक ऊर्जा जमा हो रही है। हालांकि वैज्ञानिक मानते हैं कि भूकंप ‘कब’ और ‘कितना बड़ा’ आएगा, इसकी सटीक भविष्यवाणी फिलहाल संभव नहीं है। इसीलिए GPS की संख्या बढ़ाने की योजना पर भी काम जारी है।
हिमालय की धीमी गति भी है चिंता का कारण
टेक्टोनिक तनाव की वजह से हिमालय हर साल लगभग 2 मिलीमीटर खिसक रहा है, लेकिन उत्तराखंड में यह गति धीमी है। इससे एक भू-भाग 'लॉक्ड' हो गया है, जो किसी बड़े झटके की वजह बन सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, नेपाल में 2015 में आए भूकंप की जड़ें भी इसी टेक्टोनिक तनाव से जुड़ी थीं।
भूकंप चेतावनी के लिए लगाया गया अलार्म सिस्टम
उत्तराखंड के 169 स्थानों पर भूकंपीय सेंसर लगाए गए हैं, जो 5.0 तीव्रता से ऊपर के भूकंप से 15–30 सेकंड पहले अलर्ट जारी कर सकते हैं। यह अलर्ट 'भूदेव' मोबाइल ऐप के जरिए लोगों तक पहुंचेगा, ताकि वे समय रहते सुरक्षित स्थानों पर जा सकें। उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार, यह सिस्टम लोगों को जान बचाने का बेहतर मौका देगा।