यूक्रेनी थिंक टैंक का बड़ा दावा, रूस के लड़ाकू विमानों के लिए भारत बना सबसे बड़ा ‘फ्यूल एडिटिव्स’ सप्लायर,
युद्ध में मदद का आरोप
15 days ago Written By: अनिकेत प्रजापति
भारत और रूस के बीच ऊर्जा व्यापार को लेकर पहले से जारी तनातनी के बीच अब यूक्रेन ने भारत पर एक और बड़ा आरोप लगाया है। यूक्रेन के एक प्रमुख थिंक टैंक ने दावा किया है कि भारत रूस के लड़ाकू विमानों के लिए फ्यूल एडिटिव्स (ईंधन योजक) का सबसे बड़ा निर्यातक देश बन गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के जरिए रूस अपने सैन्य विमानों की क्षमता और प्रदर्शन को बढ़ा रहा है। यह वही विमान हैं जिनसे यूक्रेन पर बमबारी की जा रही है।
रूस के फाइटर जेट्स में इस्तेमाल हो रहा है भारतीय फ्यूल एडिटिव्स यूक्रेनी थिंक टैंक इकॉनोमिक सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ यूक्रेन (ESCU) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रूस ने साल 2024 में जितने फ्यूल एडिटिव्स का आयात किया, उसमें करीब 49% हिस्सा भारत से आया था। ये रासायनिक यौगिक ईंधन में मिलाए जाते हैं ताकि लड़ाकू विमानों के इंजन का प्रदर्शन और दक्षता बेहतर हो सके। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि रूस के एसयू-34 और एसयू-35एस जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों में इन्हीं एडिटिव्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। यही विमान यूक्रेन के शहरों पर क्रूज सुपरसोनिक और गाइडेड मिसाइलों से हमले कर रहे हैं। यूक्रेनी संस्थान के अनुसार, भारत से प्राप्त यह तकनीकी सहायता रूस को युद्ध में लंबी दूरी तक सटीक हमले करने में मदद कर रही है।
भारत ने खारिज किए अमेरिका और यूक्रेन के आरोप हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से वित्तपोषित करने का आरोप लगाया था। उन्होंने रूसी तेल की खरीद पर भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा नीति के तहत ही रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है और इसका युद्ध से कोई संबंध नहीं है, अब यूक्रेन के इस नए आरोप के बाद भारत पर फिर से अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ सकता है। हालांकि भारत सरकार की ओर से इस रिपोर्ट पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
फ्यूल एडिटिव्स क्या होते हैं और क्यों हैं इतने अहम? फ्यूल एडिटिव्स एक तरल रासायनिक पदार्थ होते हैं, जिन्हें जेट ईंधन में मिलाया जाता है ताकि इंजन का प्रदर्शन, तापमान नियंत्रण, ईंधन दक्षता और स्मूद रनिंग बेहतर हो सके। ये पदार्थ इंजन की उम्र बढ़ाने और अधिक ऊंचाई या ठंडे तापमान में भी फ्यूल सिस्टम को स्थिर बनाए रखने में मदद करते हैं। इनका इस्तेमाल सिर्फ सैन्य विमान ही नहीं बल्कि वाणिज्यिक एयरलाइंस भी करती हैं। भारत की कई कंपनियां इन एडिटिव्स का निर्यात अमेरिका, यूरोप, जापान और अन्य देशों में भी करती हैं।
यूक्रेनी रिपोर्ट में भारत का नाम सबसे ऊपर यूक्रेनी थिंक टैंक की रिपोर्ट, जिसे ब्रिटिश अखबार द इंडिपेंडेंट ने प्रकाशित किया है, में कहा गया है कि रूस ने भारत से 2,456 टन फ्यूल एडिटिव्स आयात किए। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि रूस अब भारत के इन एडिटिव्स परतकनीकी रूप से निर्भर हो गया है। रिपोर्ट में कुछ भारतीय कंपनियों के नाम भी शामिल हैं, जिनके माध्यम से ये निर्यात किया गया। हालांकि इन कंपनियों ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
भारत की स्थिति मुश्किल में, कूटनीतिक संतुलन की चुनौती रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत लगातार रणनीतिक तटस्थता बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। एक तरफ भारत रूस से तेल और रक्षा सामग्री खरीद रहा है, तो दूसरी ओर अमेरिका और यूरोप के साथ भी अपने संबंध मजबूत रखना चाहता है, यूक्रेन की इस रिपोर्ट से भारत पर पश्चिमी देशों का दबाव और बढ़ सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत सरकार इस नए आरोप पर क्या रुख अपनाती है — खंडन करती है या सफाई देती है।