ट्रंप का टैरिफ हथियार: भारतीय दवाओं को मिली बड़ी राहत,
अमेरिका ने जेनेरिक दवाओं पर शुल्क लगाने की योजना टाली
19 days ago Written By: अनिकेत प्रजापति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आयात शुल्क (टैरिफ) वाले फैसलों ने बीते दिनों वैश्विक अर्थव्यवस्था में हलचल मचा रही है। उनका यह “टैरिफ हथियार” भारत के लिए भी चिंता का कारण बना हुआ था, क्योंकि ट्रंप प्रशासन भारतीय दवाओं पर भी शुल्क लगाने पर विचार कर रहा था। हालांकि, राहत की खबर यह है कि फिलहाल जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ लगाने की योजना को रोक दिया गया है। यह फैसला भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, क्योंकि अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली ज्यादातर सस्ती दवाएं भारत से ही निर्यात की जाती हैं।
भारत: दुनिया का ‘फार्मेसी हब’
दुनिया की अग्रणी मेडिकल डेटा एनालिटिक्स कंपनी IQVIA के आंकड़ों के अनुसार, भारत विश्व का एक बड़ा दवा बाजार है। अमेरिका जैसे विकसित देश में भी 47% जेनेरिक दवाएं भारत से आती हैं, जबकि 30% दवाएं अन्य देशों से निर्यात होती हैं। यही वजह है कि भारत को अक्सर “दुनिया का दवाखाना कहा जाता है। सस्ती और प्रभावी जेनेरिक दवाओं के कारण भारतीय फार्मा कंपनियों ने अमेरिकी स्वास्थ्य क्षेत्र को भी नई दिशा दी है।
क्यों लिया गया ट्रंप प्रशासन ने यू-टर्न?
‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी वाणिज्य विभाग दवाओं पर टैरिफ जांच की प्रक्रिया चला रहा था। शुरुआती जांच में यह पाया गया कि इस दायरे में जेनेरिक और नॉन-जेनेरिक दोनों तरह की तैयार दवाएं, साथ ही दवा निर्माण में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल भी शामिल है। हालांकि, व्हाइट हाउस के अंदर इस मुद्दे पर राय बंटी हुई है — एक धड़ा चाहता है कि विदेशी दवाओं पर भारी टैरिफ लगाया जाए ताकि उत्पादन अमेरिका में लौट सके, जबकि दूसरा धड़ा मानता है कि इससे अमेरिका में दवाओं की कीमतें बढ़ेंगी और बाजार में कमी (शॉर्टेज) हो सकती है। यही वजह है कि फिलहाल इस योजना को टाल दिया गया है।
ट्रंप का टैरिफ वॉर बना चर्चा का विषय
डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले कुछ महीनों में टैरिफ वॉर के जरिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हलचल मचा दी थी। पहले चीन पर लगाए गए भारी टैरिफ के कारण चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पादों की खरीद बंद कर दी थी, जिससे अमेरिकी किसानों पर गहरा असर पड़ा। अब, भारतीय दवाओं के मामले में ट्रंप प्रशासन के इस नरम रुख से अमेरिका के हेल्थ सेक्टर को बड़ी राहत मिली है। क्योंकि भारत से आने वाली जेनेरिक दवाएं टैरिफ के बावजूद अमेरिका में बनने वाली दवाओं से सस्ती पड़ती हैं।
अमेरिकी जनता के लिए भी राहत की खबर
डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और सामान्य एंटीबायोटिक्स जैसी दवाओं की खपत अमेरिका में सबसे ज्यादा है। ऐसे में भारत से आने वाली किफायती दवाएं अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए भी राहत साबित हो रही हैं। अगर इन पर टैरिफ लगाया जाता, तो दवाओं की कीमतें बढ़ जातीं और बाजार में कमी देखने को मिलती। फिलहाल, ट्रंप प्रशासन का यह निर्णय भारत और अमेरिका दोनों देशों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है।