90 फुट ऊंची हनुमान प्रतिमा पर ट्रंप की पार्टी के नेता ने साधा निशाना,
बोले– झूठी मूर्ति
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Texas Hanuman Statue Controversy: अमेरिका में भारत से जुड़ी एक बड़ी धार्मिक खबर सामने आई है। टेक्सस में बनी 90 फुट ऊंची हनुमान जी की प्रतिमा, जिसे स्टैच्यू ऑफ यूनियन कहा जाता है, एक बार फिर विवादों में आ गई है। दरअसल, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के नेता और टेक्सस से सीनेट उम्मीदवार अलेक्ज़ेंडर डंकन ने इस प्रतिमा पर आपत्ति जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा करते हुए लिखा हम टेक्सस में झूठे भगवान की झूठी मूर्ति क्यों बना रहे हैं। हम एक ईसाई देश हैं। डंकन ने आगे बाइबिल का हवाला देते हुए कहा कि ईश्वर के अलावा किसी की मूर्ति या तस्वीर नहीं बनानी चाहिए।
हिंदू संगठनों का विरोध डंकन की टिप्पणी के बाद हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन और भारतीय मूल के लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे हिंदू विरोधी और भड़काऊ करार दिया। संगठन ने रिपब्लिकन पार्टी को टैग कर सवाल पूछा कि क्या पार्टी अपने ही उम्मीदवार पर कार्रवाई करेगी, जिसने भेदभाव-विरोधी नीतियों का उल्लंघन किया है और अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन (Establishment Clause) का अपमान किया है। यह संशोधन साफ कहता है कि सरकार किसी धर्म को आधिकारिक धर्म नहीं घोषित कर सकती।
पहले भी हो चुका है विरोध यह पहली बार नहीं है जब इस प्रतिमा का विरोध हुआ है। 2024 में जब टेक्सस के अष्टलक्ष्मी मंदिर में इस हनुमान प्रतिमा का उद्घाटन हुआ था, तभी से ट्रंप समर्थक और कंजरवेटिव समूह इसका विरोध कर रहे हैं। कई लोगों ने इसे विदेशी भगवान की मूर्ति कहकर निशाना साधा, जबकि कुछ ने इसे शैतानी तक बताया। न्यूज़वीक जैसी अमेरिकी मीडिया ने भी इस मुद्दे को उग्र हेडलाइन के साथ प्रकाशित किया।
नस्लवादी टिप्पणियों का सिलसिला ट्रंप खेमे से यह पहली विवादित टिप्पणी नहीं है। इससे पहले उनके सहयोगी पीटर नवारो ने भारतीयों को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि ब्राह्मण भारतीय जनता का शोषण कर रहे हैं। यह बयान उस समय आया था जब अमेरिका, भारत के रूस से तेल खरीदने पर नाराजगी जता रहा था।
मूर्ति को लेकर और आरोप कुछ अमेरिकी नागरिकों ने यहां तक दावा किया कि यह प्रतिमा जॉर्ज फ्लॉयड जैसी दिखती है। फ्लॉयड की 2021 में पुलिस हिंसा में मौत हो गई थी, जिसके बाद पूरे अमेरिका और दुनिया भर में बड़े विरोध प्रदर्शन हुए थे।