Supreme Court: सड़क हादसे के पीड़ितों के इलाज में देरी हुई तो जवाबदेह होगी सरकार,
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए एक अहम आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि दुर्घटना के बाद पहले एक घंटे में घायलों को मुफ्त इलाज मिलेगा। इस समय को गोल्डन ऑवर कहा जाता है। मंगलवार को जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने यह आदेश दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस योजना को लागू करने का निर्देश दिया। योजना 5 मई 2025 से लागू हो गई है। सड़क दुर्घटना में घायल होने वाले व्यक्ति को 1.5 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज दिया जाएगा। यह इलाज सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों में होगा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के तहत केंद्र सरकार ने इस योजना की शुरुआत की है।
योजना कैसे काम करेगी
अगर सड़क हादसे में कोई घायल होता है। उसे अस्पताल ले जाने पर इलाज तुरंत शुरू किया जाएगा। इलाज के पैसे पीड़ित या उसके परिवार से नहीं लिए जाएंगे। सरकार अस्पताल को इलाज में हुए खर्चे का भुगतान करेगी। इलाज को लिए अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये होगी। यह इलाज 7 दिनों तक लिया जा सकेगा।
कौन उठा सकता है फायदा
मोटर वाहन से हुए किसी भी सड़क हादसे का पीड़ित। चाहे वह गाड़ी चला रहा हो या पीछे बैठा हो या फिर पैदल चल रहा हो। यह योजना सबके लिए है।
कोर्ट की सख्ती
समय पर योजना नहीं तैयार करने पर सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल को सरकार को फटकार लगाई थी। इस योजना को लिए 8 जनवरी 2024 को आदेश दिया गया था।
कुछ खामियां भी
बता दें कि गंभीर मामलों के लिए याचिकाकर्ता के वकील ने ₹1.5 लाख को कम बताया है। हिट एंड रन मामलों में मुआवजे की धीमी प्रक्रिया पर कोर्ट ने चिंता जताई। 31 जुलाई 2024 तक 921 मामले लंबित थे। जनरल इंश्योरेंस काउंसिल को प्रक्रिया में तेजी लाने की बात कही गई। कोर्ट ने सरकार से अगस्त 2025 तक रिपोर्ट मांगी है। योजना के तहत कितने लोगों को इलाज मिला रिपोर्ट में बताना होगा। इसके साथ साथ कोर्ट ने बीमा कंपनियों को भी गोल्डन ऑवर में इलाज सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी।