जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की याचिका पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट ने दिया 4 हफ्ते का समय,
पहलगाम हमले का भी हुआ जिक्र
18 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा देने से जुड़ी याचिका पर केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। यह मामला देश की राजनीति और संवैधानिक ढांचे से जुड़ा हुआ है। शुक्रवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायण ने इसे संविधान पीठ के पास भेजने की मांग की। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जताते हुए कहा कि केंद्र सरकार को पहले इस पर जवाब दाखिल करने का अवसर दिया जाए। इससे पहले 14 अगस्त को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से आठ हफ्तों में लिखित जवाब मांगा था, लेकिन सरकार ने अतिरिक्त समय की मांग की थी। अब कोर्ट ने यह समय सीमा घटाकर चार सप्ताह तय की है।
सीजेआई ने कहा- सभी पहलुओं पर विचार जरूरी मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मामले में जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। सीजेआई गवई ने टिप्पणी की कि यह मुद्दा बेहद संवेदनशील है और निर्णय लेने से पहले सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अदालत जमीनी परिस्थितियों को भी ध्यान में रखकर फैसला लेगी।
कोर्ट ने किया पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र सुनवाई के दौरान अदालत ने अप्रैल में हुए पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र भी किया। सीजेआई गवई ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति और ऐसे आतंकी घटनाक्रमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह दिखाता है कि सुरक्षा और स्थिरता अभी भी बड़ी चुनौती है।
सॉलिसिटर जनरल बोले- जम्मू-कश्मीर में लोग खुश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि जम्मू-कश्मीर में पिछले पांच वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। उन्होंने कहा, वहां के 99.99 प्रतिशत लोग भारत सरकार को अपनी सरकार मानते हैं और शांति व विकास से खुश हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन से चर्चा कर फैसला करेगी।
अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का पुराना फैसला गौरतलब है कि अगस्त 2019 में संसद ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया था। इसके साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था। दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने केंद्र के इस कदम को संवैधानिक करार दिया था। अब एक बार फिर यह मुद्दा अदालत में चर्चा का विषय बन गया है।