सुप्रीम कोर्ट ने NGO पर लगाया 1 लाख का जुर्माना,
कहा- न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं
3 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) की याचिका पर कड़ी नाराजगी जाहिर की और उस पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया। यह मामला अल्पसंख्यक स्कूलों को शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून के कुछ प्रावधानों से छूट देने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले को चुनौती देने से जुड़ा था। एनजीओ द्वारा दाखिल की गई रिट याचिका पर अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह के मामलों से देश की न्यायिक व्यवस्था को कमजोर किया जा रहा है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि ऐसी याचिका पर विचार करना भी संभव नहीं है, क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट के ही संवैधानिक पीठ के फैसले को चुनौती देती है।
अदालत ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ कैसे दायर की रिट याचिका यूनाइटेड वॉइस फॉर एजुकेशन फोरम नामक NGO ने 2014 की संविधान पीठ के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को RTE कानून, 2009 के कुछ प्रावधानों से छूट दी गई थी। याचिका को सुनते ही सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस बीवी नागरत्ना कर रही थीं, बेहद नाराज हो गई जस्टिस नागरत्ना ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह प्रक्रिया का “घोर दुरुपयोग” है और इस तरह की याचिकाएं पूरी न्यायिक व्यवस्था को ध्वस्त कर सकती हैं। उन्होंने कठोर भाषा में पूछा, आपको क्या हो गया है? आप व्यवस्था को तोड़ना चाहते हैं?
कोर्ट ने कहा- हम अपने आदेश को खुद ही निरस्त नहीं कर सकते सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके संवैधानिक पीठ के फैसले को रिट याचिका के माध्यम से चुनौती नहीं दी जा सकती। अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि उसे यह समझना चाहिए कि वह किस अदालत में खड़ा है। जस्टिस नागरत्ना ने कहा, हम अपने ही आदेश के खिलाफ रिट याचिका कैसे स्वीकार कर सकते हैं? आपकी हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की? क्या आपको व्यवहार का ज्ञान नहीं है? अदालत ने यह भी कहा कि वह याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई करने से परहेज कर रही है, लेकिन इस तरह की याचिकाओं पर अब जुर्माना लगाया जाएगा।
वकीलों को भी चेतावनी-गलत सलाह दी तो लगेगा दंड सुप्रीम कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि ऐसे मामलों में गलत सलाह देने वाले वकीलों पर भी दंड लगाया जाएगा। अदालत ने कहा कि बेबुनियाद याचिकाओं के कारण न्याय व्यवस्था पर बोझ बढ़ता है और समय बर्बाद होता है। कोर्ट ने दोहराया कि संवैधानिक पीठ के फैसलों को रिट याचिका से चुनौती देना कानून और प्रक्रिया का गंभीर उल्लंघन है। इसी आधार पर NGO की याचिका को खारिज करके उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।