सुप्रीम कोर्ट बोला- सहमति से रिश्ते में दूरी होने पर रेप केस नहीं,
झूठे वादे के नाम पर केस करना न्याय व्यवस्था पर बोझ
1 months ago
Written By: NEWS DESK
False Promise Of Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को लव अफेयर दे जुड़ा एक बड़ा और अहम फैसला सुनाया है। अपने इस फैसले में कोर्ट ने कहा है कि, यदि दो वयस्कों के बीच सहमति से बना रिश्ता बाद में टूट जाए, तो इसे शादी का झूठा वादा बताकर रेप का केस नहीं बनाया जा सकता। जिसके बाद कोर्ट के इस फैसले को लेकर हर ओर चर्चाएं हो रहीं हैं।
न्यायिक प्रक्रिया पर अनावश्यक बोझ
यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने की। बेंच ने साफ कहा कि ऐसे मामलों से न्यायिक प्रक्रिया पर अनावश्यक बोझ पड़ता है और आरोपी व्यक्ति की सामाजिक छवि को भी भारी नुकसान होता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ शादी का वादा टूट जाना, तब तक झूठा वादा नहीं माना जा सकता जब तक कि यह साबित न हो जाए कि आरोपी ने शुरुआत से ही धोखाधड़ी की मंशा से रिश्ता शुरू किया था।
केस दर्ज करने से पहले जरूर जांचे सच
इस दौरान बेंच ने कहा कि आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत केस दर्ज करने से पहले यह जरूर देखा जाना चाहिए कि आरोपी ने सच में शादी का झूठा वादा किया या नहीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की सोच पर पहले भी चिंता जताई जा चुकी है। इस फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के अमोल भगवान नेहुल के खिलाफ दर्ज रेप केस को भी रद्द कर दिया। नेहुल ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उसकी आपराधिक कार्यवाही को खत्म करने से मना कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला पलटते हुए नेहुल के खिलाफ केस खत्म कर दिया।