Supreme Court: आधार अब वोटर पहचान का हिस्सा,
सुप्रीम कोर्ट ने दिया चुनाव आयोग को आदेश
12 hours ago
Written By: Ashwani Tiwari
Supreme Court: बिहार में चल रही वोटर लिस्ट रिवीजन प्रक्रिया से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड को अब वोटर पहचान के लिए 12वें दस्तावेज के रूप में माना जाएगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि आधार केवल पहचान का साधन है, नागरिकता का नहीं। यानी वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करने के लिए आधार मददगार होगा, लेकिन नागरिकता साबित करने के लिए इसे मान्य नहीं माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और जजों की टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि कानून साफ है कि आधार एक आधिकारिक दस्तावेज है। चुनाव आयोग इसे लिस्टेड दस्तावेजों में शामिल करेगा और इसकी प्रामाणिकता की जांच करेगा। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अधिकारियों को आधार कार्ड की वास्तविकता की जांच का अधिकार होगा। वहीं, जस्टिस बागची ने साफ किया कि पासपोर्ट और जन्म प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज ही निर्णायक रूप से नागरिकता साबित कर सकते हैं। आधार को पहचान के रूप में शामिल करना जरूरी है, लेकिन इसे नागरिकता से जोड़ना सही नहीं होगा।
वोटर लिस्ट रिवीजन में आधार से मिलेगी राहत
इस फैसले के बाद बिहार में चल रही वोटर लिस्ट रिवीजन प्रक्रिया में बड़ी स्पष्टता आ गई है। अब लाखों वोटर्स को पहचान के लिए आधार दिखाने की सुविधा मिल जाएगी। इससे प्रक्रिया आसान होगी और मतदाताओं को राहत मिलेगी। चुनाव आयोग को यह अधिकार रहेगा कि यदि उसे किसी आधार कार्ड की सत्यता पर संदेह है, तो वह जांच कर सकता है और संदेहास्पद आधार वाले व्यक्ति को वोटर लिस्ट से बाहर कर सकता है।
नागरिकता का सवाल और आयोग का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट में यह मुद्दा भी उठा कि क्या चुनाव आयोग नागरिकता पर सवाल उठा सकता है। आयोग ने तर्क दिया कि उसका अधिकार केवल नागरिकों को ही वोटिंग का अधिकार देना है। वहीं, याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी कि चुनाव आयोग यह तय कैसे करेगा कि कोई व्यक्ति नागरिक है या नहीं। इस सवाल पर कोर्ट को आगे और स्पष्टता देनी होगी। फिलहाल आदेश से इतना तय है कि आधार पहचान पत्र के तौर पर इस्तेमाल होगा, लेकिन नागरिकता के मुद्दे पर निर्णायक दस्तावेज नहीं बनेगा।