Shubman Gill birthday special: खेतों से निकला हीरा…
पिता की डांट और 100 रुपये की शर्त ने गढ़ा टीम इंडिया का नया सितारा शुभमन गिल
2 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Shubman Gill birthday special: भारतीय क्रिकेट के युवा सितारे शुभमन गिल आज अपना 26वां जन्मदिन मना रहे हैं। पंजाब के इस बल्लेबाज की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती। ठीक वैसे ही जैसे कभी युवराज सिंह के करियर के पीछे उनके पिता का बड़ा हाथ था, वैसे ही शुभमन की सफलता में भी उनके पिता लखविंदर सिंह की मेहनत और तपस्या छिपी है। दोनों ही पंजाब से आते हैं, दोनों भारतीय क्रिकेट के बड़े नाम बने और दोनों के पिता अपने-अपने तरीके से बेटे की जिंदगी संवारने में जुट गए। फर्क इतना है कि जहां युवराज के पिता उन्हें क्रिकेटर नहीं बल्कि स्केटर या टेनिस खिलाड़ी बनाना चाहते थे, वहीं शुभमन गिल के पिता की पहली और आखिरी ख्वाहिश यही थी कि बेटा क्रिकेटर बने।
खेत से बने क्रिकेट का मैदान
शुभमन गिल का जन्म पंजाब के फाजिल्का जिले के चक खेरेवाला गांव में हुआ। उनके पिता लखविंदर सिंह खुद क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन हालात ने उन्हें किसान बना दिया। अपने अधूरे सपने को बेटे में जीने का निश्चय उन्होंने उसी समय कर लिया। उन्होंने खेत को ही क्रिकेट मैदान में बदल दिया और यहीं से शुभमन के क्रिकेट करियर की नींव रखी।
100 रुपये की शर्त और मेहनत
लखविंदर गिल शुरू में खुद बेटे के साथ क्रिकेट खेलते थे, लेकिन जैसे-जैसे शुभमन बड़ा हुआ, उन्होंने उसका खेल और बेहतर बनाने के लिए एक अनोखा तरीका निकाला। उन्होंने गांव में घोषणा की कि जो भी खिलाड़ी शुभमन को आउट करेगा, उसे 100 रुपये इनाम दिया जाएगा। यह शर्त शुभमन के लिए चुनौती भी बनी और अभ्यास का जरिया भी। गांव-गांव से लड़के उसे आउट करने आते और इसी वजह से शुभमन नेट्स में घंटों मेहनत करने लगे।
टेनिस बॉल से मोहाली स्टेडियम तक का सफर
शुरुआत में शुभमन सिर्फ टेनिस बॉल से खेलते थे। मगर जब परिवार जलालाबाद शिफ्ट हुआ, तो पहली बार उन्हें लेदर बॉल से खेलने का अनुभव मिला। इसके बाद असली उड़ान तब मिली जब उनके पिता ने उन्हें चंडीगढ़ भेजा और मोहाली स्टेडियम के पास एकेडमी में दाखिला दिलाया। यहां से उनके क्रिकेट का असली सफर शुरू हुआ।
तपस्या और त्याग का दूसरा नाम बने शुभमन
क्रिकेट पर पूरा ध्यान देने के लिए परिवार ने भी त्याग किया। वे सभी चंडीगढ़ में किराए के मकान में आकर बस गए। शुभमन की दिनचर्या बेहद कठिन थी सुबह 3.30 बजे उठना, 4 बजे एकेडमी पहुंचना और दिनभर प्रैक्टिस करना। शाम को जब घर लौटते, तो पिता के साथ फिर से एकेडमी जाकर सेशन देखते। इस तरह शुभमन गिल क्रिकेट के लिए समर्पण और तपस्या का दूसरा नाम बन गए।