पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का 91 वर्ष की उम्र में निधन,
लंबे राजनीतिक करियर का हुआ अंत
3 days ago Written By: Ashwani Tiwari
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का बुधवार सुबह निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे। 12 दिसंबर की सुबह करीब 6:30 बजे उन्होंने महाराष्ट्र के लातूर स्थित अपने घर देववर में अंतिम सांस ली। बताया गया कि वह लंबे समय से बीमार थे और घर पर ही उनका उपचार चल रहा था। देश की राजनीति में उनका सफर कई दशकों तक सक्रिय और प्रभावशाली रहा। विशेष रूप से 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के दौरान वह गृह मंत्री के पद पर थे। उनके निधन की खबर से राजनीतिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर है।
प्रधानमंत्री मोदी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने व्यक्त किया शोक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाटिल के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कुछ महीने पहले हुई मुलाकात को याद किया। पीएम मोदी ने उनके योगदान को महत्वपूर्ण बताते हुए परिवार के प्रति संवेदना जताई। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि पाटिल का जाना पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने जनसेवा और राष्ट्र के लिए उनके योगदान को याद करते हुए परिवार के प्रति शोक संवेदना जताई। प्रियंका गांधी ने भी एक्स पर लिखा कि पाटिल ने रक्षा मंत्रालय सहित कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी निभाई और दशकों तक जनता की सेवा की। उनका निधन कांग्रेस परिवार के लिए बड़ी क्षति है।
लातूर से राजनीति की शुरुआत, सात बार रहे लोकसभा सदस्य शिवराज पाटिल का जन्म 12 अक्टूबर 1935 को लातूर जिले के चाकूर गांव में हुआ। शुरुआती शिक्षा लातूर में हुई। इसके बाद उन्होंने उस्मानिया यूनिवर्सिटी से साइंस में ग्रेजुएशन और मुंबई यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई पूरी की। निकाय चुनाव से राजनीति की शुरुआत करते हुए वह लातूर नगरपालिका के अध्यक्ष बने। 1973 में पहली बार लातूर ग्रामीण विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक चुने गए और 1980 तक विधायक रहे। इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी संभाली। साल 1980 में वे लातूर लोकसभा सीट से चुने गए और 1999 तक लगातार सात बार सांसद रहे। इंदिरा गांधी सरकार में वे रक्षा राज्य मंत्री और बाद में वाणिज्य, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स व परमाणु ऊर्जा मंत्रालयों में भी जिम्मेदारियों पर रहे।
लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री और राज्यपाल तक का सफर 1991 से 1996 तक वे नरसिम्हा राव सरकार में लोकसभा के स्पीकर रहे। संसद भवन पुस्तकालय के निर्माण और प्रश्नकाल के लाइव प्रसारण की शुरुआत में उनकी अहम भूमिका रही। 2004 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी उन्हें केंद्र में गृह मंत्री नियुक्त किया गया। 2008 मुंबई आतंकी हमलों के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया। 2010 से 2015 तक वह पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक रहे। हमलों के दौरान बार-बार कपड़े बदलने को लेकर उन पर आलोचना भी हुई। उनकी आत्मकथा Odyssey of My Life में इस घटना का उल्लेख नहीं किया गया था।