सहसपुर ज़मीन घोटाला मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री की बढ़ी मुश्किलें,
कोर्ट में चार्जशीट दाख़िल
6 days ago
Written By: NEWS DESK
देहरादून के बहुचर्चित सहसपुर ज़मीन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व वन मंत्री और कांग्रेस नेता डॉ. हरक सिंह रावत के खिलाफ स्पेशल एमपीएमएलए कोर्ट में चार्जशीट दाख़िल कर दी है। यह मामला वर्षों पुरानी एक ज़मीन की खरीद-फरोख्त से जुड़ा है, जिसे लेकर अब राजनीतिक सरगर्मी तेज़ हो गई है।
“दोषी हुआ तो ले लूंगा संन्यास”
वहीं पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने इस चार्जशीट को पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित बताते हुए इसे भारतीय जनता पार्टी की साज़िश करार दिया है। उनका कहना है कि ईडी ने सरकार के दबाव में आकर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। हरक सिंह रावत ने बड़ा बयान देते हुए कहा, “यदि मैं इस प्रकरण में दशमलव एक प्रतिशत भी दोषी पाया गया, तो राजनीति से संन्यास ले लूंगा। लेकिन जिस तरह से मुझे राजनीतिक द्वेष के चलते फंसाने की कोशिश की जा रही है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर वह दोषी साबित होते हैं तो उन्हें सज़ा मंज़ूर है, लेकिन अगर दोष साबित नहीं हुआ, तो फिर ईडी अधिकारियों के खिलाफ फर्जी मुकदमा गढ़ने का मामला भी दर्ज होना चाहिए।
ज़मीन खरीद में हेराफेरी के आरोप
दरअसल ये मामला 8.29 हेक्टेयर ज़मीन की खरीद से जुड़ा है जो कि सहसपुर क्षेत्र में स्थित है। यह ज़मीन वर्ष 1962 से सुशीला रानी नामक महिला के नाम दर्ज थी और 2002 में हरक सिंह रावत ने इसे खरीदा। आरोप यह है कि यह ज़मीन सर्किल रेट से कम कीमत पर खरीदी गई, दस्तावेजों में गड़बड़ी की गई और वित्तीय अनियमितताएं की गईं। प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि यह लेनदेन संदिग्ध है और इसके पीछे मनी लॉन्ड्रिंग की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं।
“भाजपा ने रचा षड्यंत्र”
पूर्व कैबिनेट मंत्री ने साफ तौर पर आरोप लगाया है कि यह पूरी कार्रवाई भाजपा की शह पर की जा रही है। उन्होंने कहा, “भाजपा को सत्ता का घमंड हो गया है। वे कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। लेकिन याद रखिए, रावण और कंस का भी घमंड टूटा था, इनका भी टूटेगा।” उन्होंने यह भी काहा कि “मैं कफ़न बांधकर राजनीति में आया हूं। मुझे डराने या दबाने की कोशिश करने वालों को यह समझ लेना चाहिए कि कोई व्यक्ति तब ही डरता है जब उसने कुछ ग़लत किया हो।”
अब नज़र कोर्ट की कार्रवाई पर
फिलहाल मामला कोर्ट में है और चार्जशीट दाख़िल होने के बाद अगली सुनवाई महत्वपूर्ण होगी। अब यह देखना बाकी है कि कोर्ट प्रवर्तन निदेशालय के आरोपों को कितना वज़न देता है और हरक सिंह रावत की दलीलों को किस नज़र से देखता है। राजनीतिक गलियारों में यह मामला अब सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि राजनीतिक रणनीति और छवि की लड़ाई बन चुका है।