पढ़ाई के लिए रूस गया था युवक,
अब एक महीने से वॉर जोन में लापता हुआ पंजाब का बेटा
20 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Indians In Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच साल 2022 से जारी युद्ध में अब तक कई भारतीय फंस चुके हैं। इनमें से कई युवाओं को ज्यादा पैसे और नौकरी का झांसा देकर रूस की सेना में भर्ती कराया गया था। ताजा मामला पंजाब के लुधियाना का है, जहां 21 वर्षीय समरजीत सिंह करीब एक महीने पहले रूस की ओर से युद्ध के लिए भेजा गया था। अब उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। उसकी हालत क्या है, वह जिंदा है या नहीं इस पर भी संशय बना हुआ है।
साथी ने बताई पूरी कहानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, समरजीत के लापता होने की जानकारी उसके साथी बूटा सिंह ने दी है। 25 वर्षीय बूटा सिंह पंजाब के मोगा जिले के चक कनिया गांव के रहने वाले हैं। वह भी रूसी सेना में भर्ती हुए थे, लेकिन एक ड्रोन हमले में घायल होने के बाद इस समय मॉस्को के पास एक अस्पताल में भर्ती हैं। बूटा ने बताया कि समरजीत की कोई खबर नहीं मिल रही है और रूसी अधिकारी वॉकी-टॉकी के जरिए भी उससे संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।
रेड जोन में हुआ था तैनात
बूटा ने बताया कि समरजीत को युद्ध के सबसे खतरनाक क्षेत्र यानी रेड जोन में भेजा गया था। वहीं से उसके लापता होने की खबर आई। उन्होंने कहा कि स्थानीय अधिकारियों का मानना है कि समरजीत की मौत हो चुकी है। बूटा के अनुसार, उनका आखिरी संपर्क तब हुआ था जब समरजीत ड्रोन हमले में घायल हुआ था। इसके बाद से उसकी कोई जानकारी नहीं मिली।
धोखे से हुई थी भर्ती समरजीत मूल रूप से लुधियाना के डाबा इलाके के रहने वाले हैं और पेशे से एक्स-रे टेक्नीशियन हैं। एक एजेंट ने उन्हें डॉक्टरों के असिस्टेंट की नौकरी दिलाने का वादा किया था। इस भरोसे वह जुलाई 2024 में स्टडी वीजा पर रूस गए थे। लेकिन वहां पहुंचने के बाद उन्हें धोखे से रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया और युद्ध के मैदान में भेज दिया गया।
परिवार अब भी कर रहा इंतजार लुधियाना में रह रहे समरजीत के परिवार की हालत खराब है, लेकिन उन्हें अब भी उम्मीद है कि उनका बेटा लौट आएगा। पिता चरणजीत सिंह ने कहा कि अब वे भगवान के भरोसे हैं और सरकार से ठोस सबूतों का इंतजार कर रहे हैं। समरजीत के छोटे भाई विश्वप्रीत सिंह ने बताया कि उन्होंने आखिरी बार 8 सितंबर को भाई से बात की थी। उसके बाद से फोन बंद है। परिवार का कहना है कि वह लड़ाई करने नहीं गया था, बल्कि उसे मजबूरन युद्ध के मैदान में भेज दिया गया।