राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए 4 नए सदस्य नामित किए,
उज्ज्वल निकम, मीनाक्षी जैन, हर्षवर्धन श्रृंगला और सदानंदन मास्टर को मिला मौका
13 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Rajya Sabha: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को नामांकित किया है। इनमें प्रमुख सरकारी वकील रह चुके उज्ज्वल निकम, वरिष्ठ समाजसेवी सी. सदानंदन मास्टर, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और जानी-मानी इतिहासकार मीनाक्षी जैन के नाम शामिल हैं। ये नियुक्तियां उन सीटों को भरने के लिए की गई हैं, जो पूर्व नामित सदस्यों के सेवानिवृत्त होने के बाद खाली हुई थीं।
कौन हैं ये नए नामित सदस्य?
उज्ज्वल निकम एक वरिष्ठ वकील हैं और उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों में सरकारी पक्ष का प्रतिनिधित्व किया है। सबसे प्रसिद्ध उनका 26/11 मुंबई आतंकी हमलों का मुकदमा है, जिसमें उन्होंने कसाब को सजा दिलवाई थी। हाल ही में उन्होंने लोकसभा चुनाव में भी भाजपा उम्मीदवार के रूप में हिस्सा लिया था। केरल से सी. सदानंदन मास्टर को सामाजिक सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में उनके लंबे योगदान के लिए चुना गया है। वह दशकों से समाजसेवा में सक्रिय हैं और शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने में उनका अहम योगदान रहा है। हर्षवर्धन श्रृंगला भारत के पूर्व विदेश सचिव रह चुके हैं। विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय मामलों में उनका अनुभव बहुत गहरा है। वहीं, मीनाक्षी जैन एक प्रसिद्ध इतिहासकार और शिक्षाविद हैं, जिन्होंने भारतीय संस्कृति और इतिहास पर कई शोध कार्य किए हैं।
नामांकन का संवैधानिक प्रावधान
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80(3) के तहत, राष्ट्रपति को राज्यसभा में 12 सदस्यों को नामित करने का अधिकार है। ये वे लोग होते हैं जिन्होंने कला, साहित्य, विज्ञान या सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में विशेष योगदान दिया हो। वर्तमान में राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं, जिनमें से 233 को राज्य विधानसभा के सदस्य चुनते हैं और 12 राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं।
राज्यसभा में चुनाव और नामांकन की प्रक्रिया क्या होती है?
राज्यसभा के सामान्य सदस्य जनता द्वारा नहीं, बल्कि राज्यों की विधानसभाओं में चुने गए विधायकों द्वारा चुने जाते हैं। लेकिन राष्ट्रपति द्वारा नामित सदस्य विशिष्ट क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं जिन्हें सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति संसद में प्रतिनिधित्व के लिए चुनते हैं। इसका उद्देश्य यह होता है कि संसद में हर क्षेत्र की विशेषज्ञता शामिल हो और कानून निर्माण में उनका अनुभव काम आए। राष्ट्रपति द्वारा किए गए ये नामांकन संसद को विविध अनुभव और ज्ञान से समृद्ध बनाएंगे, जिससे नीति-निर्माण में व्यापक दृष्टिकोण मिलेगा।