सीमा पर शांति से लेकर उड़ान सेवा और मानसरोवर यात्रा…
मोदी-शी की मुलाकात से निकले 10 बड़े संदेश
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
PM Modi meet: चीन के तियानजिन शहर में रविवार 31 अगस्त 2025 को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से पहले एक बड़ी कूटनीतिक हलचल देखने को मिली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच भारत और चीन के शीर्ष नेताओं की मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आमने-सामने बातचीत कर कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इस मुलाकात में सीमा पर शांति, व्यापार, सांस्कृतिक संबंध और आपसी सहयोग को लेकर बड़े संकेत मिले। इस बैठक को दोनों देशों के संबंधों में नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है।
सीमा और आपसी विश्वास पर बातचीत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन द्वारा SCO शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग को बधाई दी और उनके उदार निमंत्रण पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पिछले साल कजान में हुई सार्थक बातचीत ने दोनों देशों के रिश्तों को सकारात्मक दिशा दी। पीएम मोदी ने बताया कि सीमा पर डिसएंगेजमेंट के बाद शांति और स्थिरता का माहौल बना है, जो दोनों देशों के लिए बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन 2.8 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और आपसी सहयोग पूरी मानवता के हित में होगा।
कूटनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों पर जोर
इस मुलाकात में पीएम मोदी ने कहा कि मानसरोवर यात्रा दोबारा शुरू हो गई है और अब दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा भी बहाल होगी। उन्होंने भरोसा जताया कि भारत और चीन आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर रिश्तों को आगे बढ़ाएंगे। वहीं, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीएम मोदी का स्वागत करते हुए कहा कि उनसे दोबारा मिलकर खुशी हुई। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले साल कजान में हुई बैठक काफी सफल रही थी।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य और भविष्य की दिशा
शी जिनपिंग ने इस दौरान कहा कि चीन और भारत दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले और प्राचीन सभ्य देश हैं, जो ग्लोबल साउथ का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों का दोस्त और पड़ोसी बने रहना बेहद जरूरी है। इस साल भारत-चीन कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ है, ऐसे में रिश्तों को रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से संभालना होगा। शी जिनपिंग ने कहा कि चीन और भारत मिलकर बहुपक्षवाद, बहुध्रुवीय विश्व और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में लोकतंत्र को मजबूत करने की जिम्मेदारी निभा सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि एशिया और पूरी दुनिया में शांति और समृद्धि के लिए दोनों देशों का साथ आना जरूरी है।