एड वर्ल्ड का शहंशाह पीयूष पांडे का निधन: मिले सुर मेरा तुम्हारा’ से ‘अतुल्य भारत’ तक,
जिन्होंने कई यादगार विज्ञापनों से भारतीयों के दिल में छोड़ दी छाप
4 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Piyush Pandey : भारत की विज्ञापन और क्रिएटिव दुनिया ने 23 अक्टूबर 2025 को एक महान हस्ती खो दी। पीयूष पांडे, जिन्होंने मिले सुर मेरा तुम्हारा, हमारा बजाज, ठंडा मतलब कोका कोला, कुछ स्वाद है ज़िंदगी में, कैडबरी, फेवी क्विक, एशियन पेंट्स और अतुल्य भारत जैसे यादगार विज्ञापन और जिंगल्स को जन-जन तक पहुंचाया, उनका 70 साल की उम्र में मुंबई में निधन हो गया। उनके योगदान ने न सिर्फ ब्रांड्स को पहचान दिलाई, बल्कि भारतीय क्रिएटिव इंडस्ट्री को भी नई ऊंचाई दी। सोशल मीडिया पर उनके मित्र सुहेल सेठ ने दुख व्यक्त करते हुए उन्हें देश का क्रिएटिव और सच्चा देशभक्त बताया।
शुरुआती जीवन और पढ़ाई पीयूष पांडे का जन्म 5 सितंबर 1955 को राजस्थान में हुआ। सात बहनों के बाद परिवार में उनका आगमन खुशियों का कारण बना। बचपन में पढ़ाई में कमजोर, लेकिन खेल और शरारतों में आगे, उन्होंने कॉलेज में अपनी शरारती और क्रिएटिव प्रतिभा से सबको आकर्षित किया। खेल-कूद और दोस्ती में उनका समय यादगार रहा।
करियर की शुरुआत कॉलेज खत्म होने के बाद पीयूष ने टी-टेस्टर की नौकरी की, लेकिन जल्दी ही उन्हें विज्ञापन की दुनिया में अवसर मिला। मुंबई में ऑगिल्वी में ट्रेनिंग अकाउंटेंट के रूप में काम शुरू किया। उनकी हिंदी भाषा में क्रिएटिव क्षमता को देखकर उन्हें क्रिएटिव टीम में शामिल किया गया। पहली बड़ी सफलता सनलाइट ब्रांड के लिए हिंदी कॉपी लिखने के साथ आई।
यादगार विज्ञापन और जिंगल्स पीयूष पांडे ने अपने करियर में कई ऐतिहासिक विज्ञापन बनाए। मिले सुर मेरा तुम्हारा का गाना उन्होंने मात्र कुछ निर्देशों के आधार पर लिखा, जो भारतीय एकता का प्रतीक बन गया। फेवी क्विक, कैडबरी, अतुल्य भारत, पधारो म्हारे देश जैसे विज्ञापनों ने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बनाया। उनके क्रिएटिव आइडिया और सरल प्रस्तुति शैली ने भारतीय विज्ञापन जगत में नया मानक स्थापित किया।
सम्मान और पहचान पीयूष पांडे को उनके योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। ऑगिल्वी में चीफ क्रिएटिव ऑफिसर के रूप में उन्होंने अनेक पीढ़ियों के क्रिएटिव्स को मार्गदर्शन दिया। उनके विज्ञापन न सिर्फ उत्पाद बेचते थे, बल्कि भावनाओं और यादों को भी जीवित रखते थे। पीयूष पांडे का जाना भारतीय विज्ञापन और जिंगल्स की दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके बनाए गए अभियान और जिंगल्स हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे।