शास्त्रीय संगीत के दिग्गज पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन,
91 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
26 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: वाराणसी से दुखद खबर सामने आई है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दिग्गज पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार, 2 अक्टूबर को तड़के निधन हो गया। सुबह करीब 4 बजे उन्होंने मिर्जापुर में अपनी आखिरी सांस ली। वह 91 साल के थे और बीते कुछ समय से बीमार चल रहे थे। परिवार के अनुसार उनकी उम्र से जुड़ी परेशानियों के साथ फेफड़ों में पानी भर गया था। कुछ दिनों पहले हालत बिगड़ने पर उन्हें बीएचयू अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन कुछ दिन पहले ही छुट्टी देकर घर भेजा गया। इसके बाद मिर्जापुर में ही वह थे। उनका अंतिम संस्कार आज वाराणसी में किया जाएगा।
कई गायन शैलियों के विद्वान पंडित छन्नूलाल मिश्र भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में बड़ा नाम थे। वह सिर्फ शास्त्रीय ही नहीं बल्कि लोक संगीत में भी महारथी माने जाते थे। ठुमरी, दादरा, कजरी, झूला, सोहर और होली के गीतों की उनकी गायकी सुनकर श्रोता भाव-विभोर हो जाते थे। राग-रागिनियों में उनका गहरा ज्ञान था और रामकथा के प्रसंग गाते हुए वे श्रोताओं को भक्ति और भावनाओं से भर देते थे। उनकी गायकी का अंदाज बेहद अनोखा था, जिसमें उनकी रसीली व्याख्या संगीत की लहरों को सीधे दिल तक पहुंचा देती थी।
जन्म और शिक्षा पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुआ था। उनके परिवार में संगीत की गहरी परंपरा थी। उनके दादा गुदई महाराज शांता प्रसाद एक प्रसिद्ध तबला वादक थे। छन्नूलाल मिश्र ने छह साल की उम्र में ही पिता बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा ली। इसके बाद उनके पहले गुरु उस्ताद गनी अली साहब बने, जिन्होंने उन्हें शास्त्रीय संगीत की बारीकियां सिखाईं।
सम्मान और पुरस्कार संगीत में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित किया था। इसके अलावा वर्ष 2000 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी उन्हें यश भारती सम्मान से नवाजा। उनकी गायकी को देश-विदेश में सराहा गया और वह भारतीय संगीत की अमूल्य धरोहर माने जाते हैं।