जर्मनी की मदद से पाकिस्तान ने सोचा था जीत पक्की,
ISRO ने भारतीय एयरबेस की बदल दी पहचान
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच जमीनी और हवाई ताकत का खेल हमेशा से रोमांचक रहा है। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय एयरफोर्स ने पाकिस्तान को चकमा देते हुए उसकी सैटेलाइट निगरानी को मूर्ख बना दिया। पाकिस्तान ने जर्मनी की एक एजेंसी और चीनी सैटेलाइट Mizazvision से मदद लेकर भारतीय एयरबेसों की तस्वीरें इकट्ठा करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय रणनीति और डमी एयरक्राफ्ट्स ने उनके पूरे प्रयास को बेकार कर दिया। इस ऑपरेशन ने दिखा दिया कि भारत सिर्फ हथियारों में ही नहीं, बल्कि सैटेलाइट इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में भी दक्ष है।
पाकिस्तान की सैटेलाइट निगरानी और जर्मनी की मदद पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जर्मनी की एक कंपनी से सैटेलाइट तस्वीरें हासिल करने की कोशिश की। तस्वीरों का उद्देश्य भारतीय एयरबेसों की स्थिति जानना था। इसके अलावा, चीनी सैटेलाइट कंपनी Mizazvision भी पाकिस्तान की मदद कर रही थी। भारतीय एयरफोर्स ने इस प्रयास का तुरंत पता लगा लिया और उन्हें भ्रमित करने के लिए तैयारी शुरू कर दी।
डमी मूवमेंट्स और फेक एयरक्राफ्ट्स भारतीय एयरफोर्स ने पाकिस्तानी निगरानी को चकमा देने के लिए डमी एयरक्राफ्ट्स और एक्टिव एयरबेस का सहारा लिया। जिन एयरबेसों पर कोई विमान या डिफेंस सिस्टम नहीं थे, वहां गाड़ियां, मॉडल और रडार सिग्नेचर बढ़ा कर उन्हें सक्रिय दिखाया गया। इस रणनीति से पाकिस्तान को असली ठिकानों की पहचान नहीं हो पाई।
इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और एयर डिफेंस सिर्फ डमी मूवमेंट्स ही नहीं, इंडियन एयरफोर्स ने इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और जैमर्स का इस्तेमाल करके सैटेलाइट इमेजरी को डिस्टर्ब किया। साथ ही, S-400, बराक-8 और आकाश जैसे लेयरड एयर डिफेंस सिस्टम के माध्यम से किसी भी संभावित हमले को रोका गया।
ISRO के सैटेलाइट्स की भूमिका इसरो के RISAT और Cartosat सैटेलाइट्स ने लगातार पाकिस्तानी सैटेलाइट्स की पोजीशन पर नजर रखी। इस जानकारी के आधार पर इंडियन एयरफोर्स ने 11 एयरबेसों पर हमले को सफल और सरप्राइज बनाकर अंजाम दिया।