MP का अजब कारनामा... ग्राम पंचायत ने 50 रुपये में खरीदी 1 ईंट,
2,500 ईंटों पर उड़ाए 1.25 लाख
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
MP News: मध्यप्रदेश का शहडोल जिला इन दिनों अपनी पंचायतों के अजब-गजब कारनामों की वजह से सुर्खियों में है। कभी पंचायतें फलों और ड्राईफ्रूट के नाम पर लाखों रुपये का खर्च दिखाती हैं, तो कभी साधारण सी ईंट की कीमत सुनकर लोग दंग रह जाते हैं। ताजा मामला बुढ़ार ब्लॉक की भाटिया ग्राम पंचायत का है, जहां ईंटों की खरीद को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां 2,500 ईंटें खरीदने का बिल 1.25 लाख रुपये में पास कर दिया गया। यानी बाजार में 5 से 6 रुपये की एक ईंट पंचायत ने 50 रुपये में खरीदने का दावा किया।
आंगनबाड़ी भवन के नाम पर पास हुआ बिल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह बिल पैरीबहरा गांव के चेतन प्रसाद कुशवाहा के नाम पर बनाया गया है। दस्तावेजों में लिखा गया है कि ईंटें पटेरा टोला में आंगनबाड़ी भवन की बाउंड्री वॉल बनाने के लिए खरीदी गईं। हैरानी की बात यह है कि इस बिल पर भाटिया पंचायत के सरपंच और सचिव दोनों के दस्तखत भी मौजूद हैं। बिल के सामने आते ही यह सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और लोगों ने पंचायत की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने शुरू कर दिए।
पहले भी सामने आ चुके हैं कई घोटाले
यह कोई पहला मामला नहीं है। कुछ हफ्ते पहले ही कुदरी ग्राम पंचायत में सिर्फ दो पन्नों की फोटोकॉपी कराने के लिए 4,000 रुपये का बिल पास किया गया था। जुलाई में भदवाही गांव की पंचायत में जल गंगा संवर्धन अभियान के दौरान महज एक घंटे में 14 किलो ड्राईफ्रूट, 30 किलो नमकीन और 9 किलो फल खाने का बिल बना दिया गया था।
दुकानों के नाम पर भी फर्जीवाड़ा
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जिन दुकानों से यह सामान खरीदे जाने का दावा किया गया, वे असल में उस सामान का कारोबार करती ही नहीं थीं। उदाहरण के लिए, काजू-बादाम बेचने वाली बताई गई एक दुकान वास्तव में एक छोटी किराना दुकान निकली, जहां न तो बिल बुक थी और न ही जीएसटी नंबर। इसी तरह, जिस दुकान से घी और फल का बिल जारी हुआ, वहां हकीकत में रेत-पत्थर और ईंट बिकते थे।
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मऊगंज से भी आया नया मामला
ड्राईफ्रूट घोटाले की गूंज अभी थमी भी नहीं थी कि मऊगंज जिले से भी नया मामला सामने आ गया। यहां "जल गंगा संवर्धन अभियान" महज 40 मिनट चला, लेकिन खर्च का बिल 10 लाख रुपये से अधिक दिखा दिया गया। इस बिल में टेंट, मिठाई, गद्दे, चादर और राशन जैसी चीजें शामिल थीं। खास बात यह थी कि सारे बिल एक ही प्रदीप एंटरप्राइजेस के नाम से बने, जबकि असल में यह दुकान इलेक्ट्रॉनिक सामान बेचती है।
जांच के आदेश
शहडोल कलेक्टर डॉ. केदार सिंह ने इन मामलों को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। उन्होंने क्लस्टर-लेवल अधिकारियों को 10-12 पंचायतों की रोजाना जांच करने के निर्देश दिए हैं, ताकि यह पता चल सके कि ये गड़बड़ियां लापरवाही से हुईं या फिर जानबूझकर धोखाधड़ी की गई है।