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जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से दिया इस्तीफा, अब आगे क्या ? क्या कहता है अनुच्छेद 68, पढ़िए कहानी धनखड़ की

4 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा

भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पांच वर्षीय कार्यकाल को पूरा किए बिना स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति को सौंपे गए अपने त्यागपत्र में उन्होंने लिखाव् है कि, "स्वास्थ्य की प्राथमिकता और डॉक्टरी सलाह का पालन करते हुए मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं।" धनखड़ ने राष्ट्रपति को सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया तथा प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिमंडल के प्रति भी आभार व्यक्त किया। उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था, लेकिन उन्होंने संवैधानिक अनुच्छेद 67(ए) के तहत इस्तीफा सौंपा, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया।

अब आगे क्या? – अनुच्छेद 68 के तहत संवैधानिक प्रक्रिया
धनखड़ के त्यागपत्र के साथ ही उपराष्ट्रपति पद रिक्त हो गया है। ऐसे में अब भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68(2) के तहत नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अनुच्छेद 68(2) कहता है कि यदि उपराष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र, हटाए जाने या अन्य किसी कारण से पद रिक्त होता है, तो उस रिक्ति को जल्द-से-जल्द भरा जाना चाहिए। संविधान यह भी स्पष्ट करता है कि नव-निर्वाचित उपराष्ट्रपति अपनी नियुक्ति की तिथि से पांच वर्षों तक पद पर बने रह सकते हैं, चाहे उन्होंने कार्यकाल के बीच में शपथ क्यों न ली हो।

अब उपसभापति के पास राज्यसभा का नेतृत्व
ध्यान देने वाली बात यह है कि, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। ऐसे में धनखड़ के त्यागपत्र के बाद यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से उठता है कि राज्यसभा की कार्यवाही कौन संचालित करेगा? संविधान में इस स्थिति के लिए भी व्यवस्था है, जिसके अनुसार जब उपराष्ट्रपति अनुपस्थित हों, तो राज्यसभा के उपसभापति या राष्ट्रपति द्वारा अधिकृत कोई अन्य सदस्य कार्यवाही की अध्यक्षता करता है। संवैधानिक विशेषज्ञों के अनुसार, यह एक स्थायी संस्थागत व्यवस्था है, जो यह सुनिश्चित करती है कि संसदीय कार्य निर्बाध रूप से चलते रहें। मानसून सत्र के दौरान इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ पहले उपराष्ट्रपति बने हैं। हालांकि संवैधानिक प्रक्रिया और व्यवस्थाएं इतनी स्पष्ट हैं कि इससे कोई संवैधानिक संकट उत्पन्न नहीं होगा।

जगदीप धनखड़ का राजनीतिक और पेशेवर सफर
अब भारत के उप राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे चुके जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू ज़िले के किठाना गांव में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूलों में हुई। जिसके बाद उन्हें वर्ष 1962 में उन्हें चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल में स्कॉलरशिप पर दाखिला मिला। इसके बाद उन्होंने जयपुर के महाराजा कॉलेज से बीएससी (फिज़िक्स ऑनर्स) की और फिर राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी (1978-79) पूरी की। धनखड़ ने 1979 में वकालत शुरू की और 1990 में राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बने। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी वकालत की। उनका राजनीतिक सफर 1989 में शुरू हुआ जब वे जनता दल के टिकट पर (भाजपा समर्थन से) झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए।

अब धनखड़ का राजनीतिक सफ़र
जानकारी के अनुसार धनखड़ साल 1990-91 में वे केंद्रीय राज्य मंत्री (संसदीय कार्य मंत्रालय) रहे। जनता दल के विघटन के बाद 1991 में कांग्रेस में शामिल हुए और अजमेर से लोकसभा चुनाव लड़ा, पर हार गए। वहीं वे 1993-1998 तक राजस्थान विधानसभा में किशनगढ़ से विधायक रहे। जिसके बाद वे 2003 में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुएअ वे लोकसभा और विधानसभा में कई संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे। वहीं 6 अगस्त 2022 को उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया। उन्हें 725 में से 528 वोट मिले थे, जबकि अल्वा को 182 वोट मिले जिसके बाद उन्हें उप राष्ट्रपति बनाया गया था।

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