ईरान ने अपने नोटों से हटाए 4 ज़ीरो, 10,000 का नोट अब बन गया 1 रूपये,
जानें किस वजह से लिया गया ये फैसला
21 days ago Written By: Ashwani Tiwari
ईरान में महंगाई का स्तर इतना बढ़ गया है कि लोग रोजमर्रा की चीजों के लिए भी लाखों और करोड़ों रियाल खर्च करने को मजबूर हैं। अब चीजों के दाम इतने ज्यादा हो गए हैं कि छोटे-मोटे सामान खरीदने के लिए थैलों में नोट ले जाने पड़ते हैं। इसी आर्थिक परेशानी को देखते हुए ईरान की सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। देश ने अपनी करेंसी रियाल से चार ज़ीरो हटाने का फैसला किया है। इस बदलाव के बाद 10,000 रियाल का नोट अब सिर्फ 1 रियाल के बराबर माना जाएगा।
क्यों लिया गया यह फैसला रियाल में इतनी बड़ी संख्या होने के कारण लोगों को रोजमर्रा के लेन-देन में मुश्किलें हो रही थीं। महंगाई इतनी बढ़ गई थी कि नोटों की संख्या अत्यधिक हो गई थी। लोग छोटे-छोटे सामान के लिए भी बड़ी- बड़ी नोटों की गड्डियां ले जाते थे। इससे न केवल आर्थिक कामकाज में गड़बड़ी होती थी, बल्कि पैसे की इज्जत भी कम हो रही थी। चार ज़ीरो हटाने का मकसद यही है कि संख्याएं छोटी हों और लेन-देन आसान हो जाए।
पुराने नोट भी रहेंगे वैध सरकार का यह कदम अचानक लागू नहीं होगा। इसके लिए तीन साल का लंबा समय दिया गया है। इस दौरान पुराने और नए नोट दोनों चलेंगे। बैंक धीरे-धीरे पुराने नोट वापस लेकर नए नोट जारी करेंगे। इसका मकसद यह है कि आम लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो और बदलाव सहज तरीके से हो सके।
क्या चीजें सस्ती होंगी चार ज़ीरो हटाने का अर्थ यह नहीं कि महंगाई कम हो जाएगी या चीजें सस्ती होंगी। उदाहरण के तौर पर, अगर आपकी तनख्वाह 20 लाख रियाल है और चीनी का दाम 20,000 रियाल प्रति किलो है, तो पुराने हिसाब से आप 100 किलो चीनी खरीद सकते थे। नए हिसाब के अनुसार तनख्वाह 200 रियाल होगी और चीनी की कीमत 20 रियाल, यानी आप अभी भी 100 किलो ही खरीद पाएंगे। बदलाव केवल नोटों की संख्या में है, खरीदने की ताकत में कोई फर्क नहीं।
अन्य देशों का अनुभव ईरान ऐसा करने वाला पहला देश नहीं है। इससे पहले वेनेजुएला ने अक्टूबर 2021 में अपने नोटों से 6 ज़ीरो हटाए थे। इस तरह के कदम केवल हिसाब-किताब को आसान बनाने के लिए उठाए जाते हैं, महंगाई को कम करने के लिए नहीं।