देश के स्कूली बच्चों में बढ़ रहा नशे का खतरा,
सर्वे में सामने आई चौंकाने वाली तस्वीर
5 days ago Written By: Ashwani Tiwari
देश में ड्रग्स और नशे की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है और अब इसका असर बच्चों तक पहुंच चुका है। एक बड़े सर्वे में यह सामने आया है कि देश के 10 प्रमुख शहरों में स्कूली बच्चे बेहद कम उम्र में नशे की शुरुआत कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ड्रग्स लेने की औसत उम्र सिर्फ 12.9 साल है, जबकि कई बच्चे 11 साल की उम्र में ही नशे से जुड़ जाते हैं। इससे भी चिंताजनक बात यह है कि ज्यादातर बच्चे नशे को लेकर सच बताने से बचते हैं, जिससे असल संख्या और भी ज्यादा हो सकती है। यह सर्वे देश में बच्चों की बढ़ती नशे की समस्या की ओर गंभीर संकेत देता है।
10 शहरों में किया गया बड़ा स्कूल सर्वे नेशनल मेडिकल जर्नल ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, हर सात में से एक स्कूली छात्र कम से कम एक बार किसी साइकोएक्टिव पदार्थ का सेवन कर चुका है। यह अध्ययन दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई, चंडीगढ़, हैदराबाद, लखनऊ, इंफाल, जम्मू, डिब्रूगढ़ और रांची के कुल 5,920 छात्रों पर किया गया। इन बच्चों की औसत उम्र लगभग 14.7 साल थी। सर्वे में पाया गया कि 15.1% छात्र जीवन में कभी न कभी नशा कर चुके थे, 10.3% ने पिछले साल और 7.2% ने पिछले महीने नशे का सेवन किया।
कौन-कौन से नशे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल रिपोर्ट के मुताबिक, तंबाकू (4%) और शराब (3.8%) बच्चों के बीच सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले पदार्थ हैं। इनके बाद ओपिओइड (2.8%), भांग (2%) और इनहेलेंट (1.9%) आते हैं। सबसे चिंता की बात यह है कि ओपिओइड का अधिकतर इस्तेमाल बिना प्रिस्क्रिप्शन वाली दवाइयों के रूप में किया गया।
कौन से बच्चों में नशे का खतरा ज्यादा यह मल्टी-सिटी स्टडी AIIMS, दिल्ली के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर की प्रमुख डॉ. अंजू धवन ने देश के कई मेडिकल कॉलेजों की मदद से की। इसमें पाया गया कि कक्षा 11-12 के बच्चों में नशे की संभावना कक्षा 8 के मुकाबले दोगुनी थी। लड़कों में तंबाकू और भांग का इस्तेमाल ज्यादा पाया गया, जबकि लड़कियों में इनहेलेंट और फार्मास्युटिकल ओपिओइड का उपयोग अधिक देखा गया।
बच्चे जानकारी छिपाते हैं, इसलिए असल संख्या और ज्यादा सर्वे की एक और दिलचस्प बात यह रही कि आधे से ज्यादा बच्चों ने माना कि यदि उनसे नशे के बारे में पूछा जाए तो वे झूठ बोलेंगे या सच्चाई छिपाएंगे। इससे यह संकेत मिलता है कि असल संख्या रिपोर्ट से कहीं अधिक हो सकती है।
नशे और मानसिक समस्याओं का संबंध स्टडी में नशे के इस्तेमाल और भावनात्मक परेशानियों के बीच सीधा संबंध पाया गया। पिछले साल नशा करने वाले 31% छात्र मनोवैज्ञानिक समस्याओं से जूझ रहे थे, जबकि नशा न करने वालों में यह संख्या 25% थी। इन समस्याओं में व्यवहार संबंधी परेशानी, हाइपरएक्टिविटी और भावनात्मक तनाव शामिल थे।