11,440 करोड़ का दलहन मिशन: 416 जिलों के किसानों को बड़ा तोहफा,
दाल की महंगाई से मिलेगी राहत
27 days ago Written By: Ashwani Tiwari
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को देश में दलहन उत्पादन बढ़ाने और आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए एक बड़ी योजना को हरी झंडी दे दी। दलहनों में आत्मनिर्भरता मिशन नाम से शुरू की गई यह योजना छह साल तक चलेगी और इस पर कुल 11,440 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह मिशन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2025-26 के बजट में की गई घोषणा का हिस्सा है। योजना का मकसद भारत की जरूरतों को पूरा करना और आयात पर निर्भरता को कम करना है।
अरहर, उड़द और मसूर पर होगा खास जोर इस मिशन का मुख्य फोकस अरहर, उड़द और मसूर जैसी दालों के उत्पादन को बढ़ाना है। इसके लिए नेफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) जैसी सरकारी एजेंसियां पंजीकृत किसानों से सीधी खरीद करेंगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार 2023-24 में 242 लाख टन दलहन उत्पादन को 2030-32 तक बढ़ाकर 350 लाख टन करने का लक्ष्य रख रही है।
खेती का रकबा और उपज दोनों बढ़ेंगे योजना के तहत दलहन की खेती का रकबा 242 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 310 लाख हेक्टेयर किया जाएगा। वहीं उपज 881 किलो प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 1,130 किलो प्रति हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक और उपभोक्ता है, लेकिन बढ़ती घरेलू मांग के कारण हाल के वर्षों में दलहन के आयात में 15 से 20% तक की बढ़ोतरी हुई है। इस योजना से इस चुनौती का समाधान निकल सकेगा।
416 जिलों में लागू होगी योजना यह मिशन देश के 416 जिलों में लागू किया जाएगा। इसके तहत लगभग 1,000 नई पैकेजिंग और प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित होंगी। हर इकाई को अधिकतम 25 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी। साथ ही अधिक उत्पादकता वाली, कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-प्रतिरोधी दालों की नई किस्में विकसित की जाएंगी। सरकार 2030-31 तक किसानों को 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज उपलब्ध कराएगी, जिससे 370 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जाएगा।
किसानों की फसल सरकार खरीदेगी इस योजना की सबसे खास बात यह है कि अरहर, उड़द और मसूर जैसी दालों की 100% सरकारी खरीद सुनिश्चित की जाएगी। इसके लिए पीएम-आशा (प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान) की मूल्य समर्थन योजना के तहत नेफेड और एनसीसीएफ अगले चार साल तक भागीदार राज्यों में पंजीकृत किसानों से पूरी फसल खरीदेंगे। साथ ही वैश्विक कीमतों की निगरानी का एक तंत्र भी बनाया जाएगा ताकि दाम स्थिर रहें और किसानों को भरोसा मिल सके।