200000 करोड़ की बाज़ी: राफेल जेट्स अब मिसाइल-हैवी…
हुंकार ऐसी कि सीमाओं पर छा जाए सन्नाटा
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
India-France Rafale Deal: दुनियाभर में बदलते सामरिक हालात और चीन-पाकिस्तान की नजदीकियों के बीच भारत ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। भारतीय वायुसेना (IAF) अपनी युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए 114 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की प्रक्रिया को तेज कर रही है। अनुमानित 2 लाख करोड़ रुपये की इस ऐतिहासिक डील को अगले वित्त वर्ष तक अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। इससे न केवल वायुसेना को तात्कालिक मजबूती मिलेगी बल्कि लंबे समय तक रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा मिलेगा।
शुरुआत में 18 विमान सीधे फ्रांस से समझौते के तहत पहले चरण में 18 राफेल जेट पूरी तरह ऑपरेशनल हालत में सीधे फ्रांस से मिलेंगे। इन्हें तुरंत वायुसेना की अग्रिम पंक्ति में शामिल किया जाएगा। इसके बाद 90 से अधिक विमान भारत में असेंबल होंगे, जिनमें 60% तक स्वदेशी सामग्री शामिल होगी। डसॉल्ट एविएशन भारतीय कंपनियों, खासकर टाटा, के साथ मिलकर असेंबली लाइन तैयार करेगा।
राफेल की खासियत और ताकत नए राफेल जेट अत्याधुनिक हथियारों से लैस होंगे। इनमें मीटियोर एयर-टू-एयर मिसाइल और SCALP क्रूज़ मिसाइल शामिल होंगी। साथ ही भारतीय हार्डवेयर अपग्रेड और कुछ स्वदेशी उपकरण भी लगाए जाएंगे। शुरुआती डिलीवरी के साथ ही पायलट और ग्राउंड स्टाफ को निर्माता कंपनी ट्रेनिंग देगी। हाल ही में राफेल ने ऑपरेशन सिंदूर में चीन की PL-15 मिसाइल को मात देकर अपनी शक्ति साबित की थी।
वायुसेना की जरूरत और रणनीति फिलहाल IAF के पास सिर्फ 29 स्क्वाड्रन हैं, जबकि पाकिस्तान और चीन दोनों मोर्चों पर मुकाबले के लिए 42.5 स्क्वाड्रन की आवश्यकता है। नए सौदे से भारतीय वायुसेना के पास कुल 176 राफेल होंगे, जिसमें पहले खरीदे गए 36 और नौसेना के लिए ऑर्डर किए गए 36 विमान भी शामिल हैं। अंबाला और हाशिमारा एयरबेस जैसे अहम ठिकानों पर इनकी तैनाती से भारत की सामरिक स्थिति और मजबूत होगी।
भविष्य की दिशा और आत्मनिर्भरता फ्रांस सरकार इस डील पर सॉवरेन गारंटी देगी, जिससे समय पर डिलीवरी सुनिश्चित होगी। अगले 5-6 सालों में भारत में राफेल असेंबली लाइन पूरी तरह सक्रिय हो जाएगी और हैदराबाद में M-88 इंजनों के लिए मरम्मत और रखरखाव केंद्र भी तैयार होगा। साथ ही, तेजस MK-1A और आने वाले पांचवीं पीढ़ी के विमानों से भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को नई ऊंचाई मिलेगी।