2027 की जनगणना के लिए गृह मंत्रालय ने मांगे 14,618 करोड़,
पहली बार जुटाए जाएंगे डिजिटल और जातिगत आंकड़े
8 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
India Census 2027: भारत सरकार ने 2027 में होने वाली जनगणना की तैयारियां शुरू कर दी हैं। यह जनगणना कई मायनों में खास होगी, क्योंकि पहली बार इसे पूरी तरह डिजिटल तरीके से किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए 14,618 करोड़ रुपये का बजट मांगा है। इस राशि का इस्तेमाल जनगणना के दोनों चरणों हाउसलिस्टिंग और जनसंख्या गणना में किया जाएगा। हाउसलिस्टिंग का काम अप्रैल से सितंबर 2026 तक चलेगा, जबकि फरवरी 2027 से देशभर में जनसंख्या गणना शुरू होगी।
बजट और मंजूरी की प्रक्रिया
रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय के तहत आने वाले भारत के महापंजीयक (RGI) ने इस महीने की शुरुआत में व्यय वित्त समिति (EFC) के पास बजट की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा है। EFC, वित्त मंत्रालय के अधीन काम करता है और योजनाओं की जांच करता है। EFC से मंजूरी मिलने के बाद गृह मंत्रालय यह प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रिमंडल को भेजेगा।
35 लाख से ज्यादा कर्मचारी होंगे तैनात
30 अप्रैल को राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCPA) ने फैसला किया था कि जनगणना में जातिगत आंकड़े भी शामिल किए जाएंगे। इसके लिए 35 लाख से ज्यादा गणनाकर्मी और सुपरवाइजर लगाए जाएंगे। यह संख्या 2011 की तुलना में लगभग 30% ज्यादा है, क्योंकि उस समय 27 लाख कर्मचारी तैनात किए गए थे।
दो चरणों में पूरी होगी जनगणना
जनगणना की प्रक्रिया दो चरणों में होगी। पहले चरण में कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और बर्फीले पहाड़ी इलाकों में 1 अक्टूबर 2026 से काम शुरू होगा। बाकी देश में यह प्रक्रिया 1 मार्च 2027 से शुरू होगी। इस दौरान परिवारों से उनके मकान, घरेलू सुविधाओं और संपत्तियों से जुड़े आंकड़े लिए जाएंगे।
छह साल की देरी और अनुमानित आबादी
दरअसल, यह जनगणना छह साल की देरी से हो रही है। 2021 की जनगणना कोविड-19 महामारी की वजह से नहीं हो पाई थी। अब 2027 में होने वाली यह जनगणना भारत की 16वीं दशकीय और आजादी के बाद आठवीं जनगणना होगी। 2011 में देश की आबादी 1.21 अरब दर्ज की गई थी, जबकि अनुमान है कि 2027 तक यह बढ़कर 1.41 अरब पहुंच जाएगी।