स्पेस में चीन-पाक की हर चाल फेल, ISRO बनाएगा सैटेलाइट्स का S400,
अब होगी आसमान से निगरानी
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
ISRO Bodyguard Satellite: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों की सुरक्षा मजबूत करने के लिए एक नई योजना पर काम कर रही है। योजना के तहत ऐसे “बॉडीगार्ड सैटेलाइट्स” तैयार किए जाएंगे जो अनधिकृत या खतरनाक निकटताओं की पहचान कर मुख्य उपग्रहों को बचाने में मदद करेंगे। यह कदम उस घटना के बाद तेज हुआ जब मध्य-2024 में किसी पड़ोसी देश का उपग्रह ISRO के एक उपग्रह के लगभग 1 किलोमीटर के भीतर आया था टक्कर तो टली लेकिन इसे क्षमता दिखाने वाला इशारा माना गया। इस ओर बढ़ती सैन्य-नागरिक निर्भरता ने सरकार को अंतरिक्ष सुरक्षा सक्रिय करने के लिए प्रेरित किया है।
योजना का स्वरूप — क्या बनाया जाएगा सरकारी सूत्रों के अनुसार योजना का लक्ष्य लगभग 50 निगरानी रक्षा उपग्रहों का बेड़ा तैयार करना है। इन बॉडीगार्ड उपग्रहों का काम खतरे की पहचान कर लक्ष्य उपग्रहों को अलर्ट और आवश्यक स्थिति-बदलाव के लिए समय देना होगा किसी तरह S-400 जैसे जमीन-आधारित बचाव तंत्र की तरह अंतरिक्ष में सुरक्षा सुनिश्चित करना। योजना का पहला उपग्रह अगले साल लॉन्च किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है।
लागत, तकनीक और स्टार्टअप सहभागिता रिपोर्ट के अनुसार इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग ₹27,000 करोड़ (करीब $3 अरब) बताई जा रही है और सरकार स्टार्टअप्स के साथ मिलकर LiDAR (Light Detection and Ranging) जैसी तकनीक पर काम कर रही है, ताकि खतरे को तेज़ी से पकड़ कर धरती से समय पर आदेश दिए जा सकें। इन्हें ग्राउंड-रेडार और दूरदर्शन टेलिस्कोप के हिस्से के रूप में भी जोड़ा जाएगा। ISRO और अंतरिक्ष विभाग ने अभी आधिकारिक टिप्पणी नहीं दी है।
रणनीतिक महत्व और परिदृश्य प्रभाव विशेषज्ञ कहते हैं कि जैसे-जैसे उपग्रह सैन्य और नागरिक दोनों मोर्चों पर अहम होते जा रहे हैं, यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक शक्ति दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि क्षेत्रीय तनावों के दौरान (जैसे मई के ऑपरेशन Sindoor के समय) चीन-पाकिस्तान के बीच सहयोग देखा गया था, और चीन ने इस दौरान पाकिस्तान को उपग्रह कवरेज समायोजित करने में मदद की, जिसे रक्षा मंत्रालय से जुड़े एक रिसर्च समूह ने भी इंगित किया था। देश-वार उपग्रह संख्या के संदर्भ में लाइव ट्रैकिंग साइट N2YO के आंकड़े भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच अंतर दिखाते हैं।