थमने का नाम नहीं ले रहीं इंडिगो की मुश्किलें…
अब इस बड़ी जांच का सामना करने की तैयारी
5 days ago Written By: Ashwani Tiwari
IndiGo Crisis Deepens: देश की सबसे बड़ी लो-कॉस्ट एयरलाइन इंडिगो इन दिनों लगातार संकटों से घिरी हुई है। उड़ान रद्द होने, पायलटों की कमी और डीजीसीए की सख्ती जैसे मुद्दों के बीच अब कंपनी एक और बड़े खतरे का सामना कर सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) इंडिगो के खिलाफ एंटीट्रस्ट से जुड़ी जांच शुरू कर सकता है। यह जांच इस बात का पता लगाने के लिए होगी कि क्या एयरलाइन ने अपने बाजार में दबदबे का गलत इस्तेमाल किया है। वहीं, डीजीसीए पहले से ही इंडिगो के परिचालन संकट की जांच कर रहा है। ऐसे में इंडिगो पर दो तरफा दबाव बढ़ता जा रहा है और यात्रियों की परेशानियां भी बढ़ी हैं।
इंडिगो के खिलाफ एंटीट्रस्ट जांच की तैयारी एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि CCI के पास इंडिगो के खिलाफ जांच शुरू करने के मजबूत आधार मौजूद हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इंडिगो संकट की मुख्य जांच नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ही करेगा। CCI अपने अधिकार क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर जल्द अंतिम निर्णय ले सकता है। किसी कंपनी द्वारा अपनी बाजार शक्ति का दुरुपयोग करने, उपभोक्ताओं पर अनुचित शर्तें थोपने या सेवाओं को सीमित करने पर CCI जांच शुरू कर सकता है।
उड़ानों की भारी कैंसिलेशन और पायलटों की कमी इंडिगो के पास घरेलू विमानन बाजार का लगभग 65% हिस्सा है। इसके बावजूद कंपनी ने इस महीने अकेले 5,000 से ज्यादा उड़ानें रद्द कर दी हैं। पायलटों के लिए नए विश्राम नियमों को लागू न करने के कारण कंपनी में अचानक भारी स्टाफ की कमी हो गई। जहां एयरलाइन को 2,422 कैप्टन चाहिए थे, वहीं उसके पास सिर्फ 2,357 उपलब्ध थे। इसी वजह से हजारों यात्री देशभर के एयरपोर्ट पर घंटों फंसे रहे।
डीजीसीए का कारण बताओ नोटिस और इंडिगो का जवाब शनिवार को DGCA ने इंडिगो के CEO पीटर एल्बर्स और COO इसिड्रे पोरक्वेरास को कारण बताओ नोटिस जारी कर 24 घंटे में जवाब देने को कहा। लेकिन दोनों अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि कंपनी के बड़े और जटिल नेटवर्क के कारण इतनी जल्दी वजह बताना संभव नहीं है। उन्होंने DGCA की नियमावली का हवाला देते हुए 15 दिन का समय मांगा।
CCI की कार्रवाई कब और कैसे शुरू होती है प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4 किसी भी प्रभावशाली कंपनी को उपभोक्ताओं पर अनुचित शर्तें लगाने से रोकती है। CCI खुद से, किसी शिकायत या सरकार से मिले संदर्भ के आधार पर जांच शुरू कर सकता है। अगर प्रथम दृष्टया मामला बनता है, तो वह अपने महानिदेशक को औपचारिक जांच के आदेश देता है। अगर मामला नहीं बनता, तो वह शिकायत बंद कर देता है। इंडिगो पहले भी दो मामलों में CCI के निशाने पर आ चुका है, लेकिन उन्हें 2015 और 2016 में खारिज कर दिया गया था।