हजरतबल दरगाह में अशोक चिह्न तोड़ने पर बवाल, पुलिस ने 20 से ज्यादा को पकड़ा,
जानें कानून में क्या सजा है
2 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Ashoka Emblem: जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में स्थित मशहूर हजरतबल दरगाह इस समय देशभर की सुर्खियों में है। दरगाह परिसर में हाल ही में हुए नवीनीकरण और सौंदर्यीकरण के दौरान लगाए गए एक बोर्ड पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ की आकृति बनाई गई थी। इसी आकृति को कुछ लोगों ने धार्मिक भावनाओं के खिलाफ बताते हुए पत्थरों से तोड़ दिया। उनका कहना था कि किसी भी धार्मिक स्थल पर मूर्ति या आकृति का बनाना इस्लामी मान्यताओं के विरुद्ध है। घटना के बाद दरगाह में माहौल तनावपूर्ण हो गया और मामला तेजी से राजनीतिक रंग लेने लगा।
बीजेपी और विपक्ष आमने-सामने
इस तोड़फोड़ पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। बीजेपी नेताओं ने इसे राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान बताया और आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की। वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने दरगाह परिसर में अशोक चिह्न बनाए जाने पर ही सवाल उठाया। उनका कहना है कि देश के अन्य धार्मिक स्थलों पर राष्ट्रीय प्रतीक का उपयोग नहीं किया जाता, फिर हजरतबल में यह गलती क्यों हुई।
पुलिस की कार्रवाई और धाराएं
पुलिस ने घटना को गंभीर मानते हुए कई धाराओं में केस दर्ज किया है। इनमें धारा 300, 352, 191(2), 324(4), 196 और 61(2) बीएनएस धारा (2) पीआईएनएच अधिनियम, 1971 शामिल हैं। अब तक 20 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है और कुछ अन्य से पूछताछ की जा रही है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला न केवल सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का है बल्कि राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान भी है, इसलिए आरोपियों को कड़ी सजा मिल सकती है।
कितनी हो सकती है सजा
भारत में राष्ट्रीय प्रतीकों की रक्षा के लिए खास कानून बनाए गए हैं। राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और राष्ट्रीय प्रतीक (अनुचित उपयोग पर रोक) अधिनियम, 2005 के तहत यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान करता है तो उसे तीन साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। वहीं अनुचित उपयोग या तोड़फोड़ करने पर दो साल तक की कैद और 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
आतंकी कार्रवाई या प्रशासन की गलती
वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष और बीजेपी नेता दरख्शां अंद्राबी ने इस घटना को न केवल संविधान और राष्ट्रीय प्रतीक पर हमला बताया बल्कि इसे ‘आतंकी कार्रवाई’ तक करार दिया। उन्होंने केंद्र सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की। दूसरी ओर विपक्षी दलों ने वक्फ बोर्ड पर ही आरोप लगाया कि उसने बिना संवेदनशीलता दिखाए धार्मिक स्थल पर सरकारी प्रतीक लगाकर लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई।