इस दिवाली कहीं जाने का सोच रहें हैं… इन शहरों की रौनक देखकर कहेंगे- काश छुट्टियां थोड़ी और होतीं,
घर वापस आने का नहीं करेगा मन
11 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Diwali News: दिवाली का त्योहार पूरे देश में उमंग और रोशनी का प्रतीक माना जाता है। इस दिन हर कोई अपने घर को दीयों, रंगोली और लाइट्स से सजाता है। इस बार दिवाली और भी खास है, क्योंकि त्योहार लॉन्ग वीकेंड पर पड़ रहा है। सोमवार, 20 अक्टूबर को दिवाली मनाई जाएगी, जबकि शनिवार और रविवार को भी छुट्टी रहेगी। यानी 3 दिन का मौका है त्योहार का जश्न मनाने और कहीं घूम आने का। देश में कई ऐसे शहर हैं, जहां दिवाली का नजारा देखते ही बनता है। अगर आप भी इस बार कुछ अलग अंदाज़ में दिवाली मनाना चाहते हैं, तो ये खबर आपके काम की है।
अयोध्या में दिवाली का अद्भुत नजारा उत्तर प्रदेश का अयोध्या शहर दिवाली पर मानो स्वर्ग बन जाता है। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि होने के कारण यहां दीपोत्सव का आयोजन बेहद भव्य तरीके से किया जाता है। हर साल यहां लाखों दीये जलाकर नया रिकॉर्ड बनाया जाता है। राम मंदिर परिसर और सरयू घाट पूरी तरह रोशनी से नहाए रहते हैं। इस बार भी करीब 1 लाख दीये जलाने की तैयारी है। शाम को जब पूरा अयोध्या दीयों की रोशनी में चमकता है, तो वो नजारा जीवनभर याद रह जाता है।
जयपुर की रंगीन दिवाली राजस्थान की राजधानी जयपुर में दिवाली का जश्न अपने शाही अंदाज के लिए मशहूर है। यहां की मार्केट्स और चौक-चौराहों को रंगीन लाइट्स से सजाया जाता है। हर गली मानो किसी दुल्हन की तरह जगमगा उठती है। हवा महल, सिटी पैलेस और आमेर किला दिवाली की रात रोशनी में नहाए नजर आते हैं। यहां की मिठाईयां और पारंपरिक सजावट इस पर्व की रौनक को दोगुना कर देती हैं।
गुजरात में दिवाली और नया साल गुजरात में दिवाली सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि नए साल की शुरुआत का प्रतीक भी है। विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार दिवाली के अगले दिन ‘बेस्टू वरस’ मनाया जाता है। व्यापारी अपने खातों की नई शुरुआत करते हैं। अहमदाबाद और सूरत जैसे शहर पूरी तरह लाइट्स से सजे होते हैं।
मुंबई और गोवा में दिवाली का अलग अंदाज़ सपनों का शहर मुंबई दिवाली पर और भी खूबसूरत लगने लगता है। मरीन ड्राइव से लेकर बांद्रा तक लाइट्स और आतिशबाजी से आसमान जगमगा उठता है। सिद्धिविनायक मंदिर में पूजा-अर्चना और सजावट का खास आयोजन होता है। वहीं, गोवा में दिवाली को नरकासुर वध उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यहां नरकासुर के पुतले जलाए जाते हैं और फिर घरों में दीए जलाकर जश्न मनाया जाता है।