साल 2023 में सड़क हादसे से हर 3 मिनट में हुई एक मौत,
गड्ढों नें लीं 2161 जिंदगियां
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
देश में सड़क हादसों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। सड़क परिवहन मंत्रालय की “भारत में सड़क दुर्घटनाएं 2023” रिपोर्ट के ताज़ा आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि भारत की सड़कों पर सफर करना अब भी बेहद खतरनाक है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में देशभर में सड़क हादसों में लगभग 1.73 लाख लोगों की मौत हुई, यानी औसतन हर तीन मिनट में एक व्यक्ति की जान गई। यह आंकड़ा 2022 की तुलना में 2.6 प्रतिशत अधिक है, जो सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।
गड्ढों से बढ़ी मौतों की संख्या
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सड़कों पर गड्ढे अब जानलेवा बन चुके हैं। वर्ष 2023 में गड्ढों के कारण 2,161 लोगों की मौत दर्ज की गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 16.4 प्रतिशत अधिक है। गड्ढों से होने वाली मौतों में उत्तर प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित राज्य के रूप में सामने आया है, जहां अकेले आधे से ज्यादा जानें गईं। इसके बाद मध्य प्रदेश का स्थान रहा। सड़क की जर्जर हालत और समय पर मरम्मत न होना इन हादसों की सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है।
तेज रफ्तार और लापरवाही बनी सबसे बड़ा खतरा
रिपोर्ट साफ करती है कि सड़क हादसों में मौत का सबसे बड़ा कारण अब भी तेज रफ्तार है। वर्ष 2023 में हुई कुल मौतों में से 68 प्रतिशत मौतें केवल ओवरस्पीडिंग की वजह से हुईं। इसके अलावा गलत दिशा में गाड़ी चलाना और लेन अनुशासनहीनता भी बड़ी संख्या में हादसों की वजह बनी। इन दोनों कारणों से 9,432 लोगों की मौत दर्ज की गई, जबकि 2022 में यह आंकड़ा 9,094 था। आंकड़े बताते हैं कि सड़क पर नियमों की अनदेखी और लापरवाही से मौतों की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही।
सबसे ज्यादा दोपहिया वाहन चालक शिकार
दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों में सबसे अधिक संख्या दोपहिया वाहन चालकों की रही। वर्ष 2023 में 77,539 दोपहिया वाहन चालक सड़क हादसों का शिकार बने। इसके बाद 35,221 पैदल यात्री और 21,496 कार तथा टैक्सी सवार इन हादसों में मारे गए। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि हेलमेट न पहनने के कारण 54,568 लोगों की जान गई, जबकि सीट बेल्ट न लगाने से 16,025 मौतें हुईं। ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि सड़क पर सुरक्षा उपकरणों की अनदेखी कितनी खतरनाक साबित हो सकती है।
पीछे से टक्कर और हिट एंड रन की घटनाएं बढ़ीं
रिपोर्ट में बताया गया है कि टेलगेटिंग यानी पीछे से टक्कर के कारण सबसे ज्यादा 36,804 मौतें दर्ज की गईं, जो कुल मौतों का लगभग 21 प्रतिशत है। इसके अलावा हिट एंड रन की घटनाओं में 31,209 लोगों की जान गई, जबकि आमने-सामने की टक्कर के कारण 28,898 मौतें हुईं। ये आंकड़े इस बात का संकेत हैं कि सड़कों पर वाहन चलाते समय जरा सी लापरवाही भी कितनी घातक साबित हो सकती है।
राष्ट्रीय राजमार्गों पर सबसे ज्यादा मौतें
रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग देश के कुल सड़क नेटवर्क का केवल 2 प्रतिशत हिस्सा हैं, लेकिन यहां कुल सड़क दुर्घटनाओं में 31.2 प्रतिशत और मौतों में 36.5 प्रतिशत दर्ज की गईं। वहीं, राज्य राजमार्गों पर 22 प्रतिशत हादसे और 22.8 प्रतिशत मौतें हुईं। आंकड़े साफ बताते हैं कि राजमार्गों पर तेज रफ्तार, नियमों की अनदेखी और पर्याप्त सुरक्षा उपायों की कमी लोगों की जान ले रही है।
सबसे ज्यादा प्रभावित युवा वर्ग
वहीं रिपोर्ट का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि दो-तिहाई मौतें 18 से 45 वर्ष की आयु के लोगों की हुईं। यह आंकड़ा देश के भविष्य पर गंभीर असर डालने वाला है, क्योंकि हादसों में मरने वाले ज्यादातर लोग वही हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था और उत्पादन का मुख्य आधार हैं।
सड़क सुरक्षा पर बड़ा सवाल
सड़क परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट एक बार फिर से यह स्पष्ट कर देती है कि भारत में सड़क सुरक्षा की स्थिति बेहद चिंताजनक है। हर तीन मिनट में एक जान जाना, गड्ढों के कारण बढ़ती मौतें, दोपहिया सवारों में हेलमेट न पहनने की प्रवृत्ति और राजमार्गों पर तेज रफ्तार – यह सब मिलकर बताता है कि देश को सख्त सड़क सुरक्षा कानूनों, जागरूकता अभियानों और बुनियादी ढांचे में तत्काल सुधार की जरूरत है।